स्वतंत्रता सेनानी, आजाद भारत में राजनीति के पुरोधा, दो-दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहे देश
के एक मात्र नेता नारायण दत्त तिवारी नहीं रहे। 93 साल की उम्र में उनका निधन हो
गया। दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसे लीं। ब्रेन स्ट्रोक के बाद
पिछले दस महीने से वह अस्पताल में भर्ती थे। 65 साल की अपनी राजनीतिक यात्रा में उन्होंने
जो कुछ किया, वह वर्तमान के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत होंगे। अंतिम समय
में एनडी के पुत्र रोहित शेखर तिवारी और पत्नी उज्ज्वला तिवारी उनके साथ थीं।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सरल एवं मिलनसार, आशावादी और इरादों के पक्के एनडी का जन्म
नैनीताल के बल्यूटी ग्राम में अपने ननिहाल में 18 अक्तूबर 1925 की रात में हुआ था। मूल रूप से
एनडी तिवारी ………. के रहने वाले थे।
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सबसे खास एनडी
– सबसे छोटे विधायक : 1957 में जब प्रजा समाजवादी पार्टी से चुनकर आए थे तो उत्तरप्रदेश
की विधान सभा में वह सबसे कम उम्र (27 वर्ष) विधायक थे।
– दो राज्यों के पहले मुख्यमंत्री : एनडी देश के पहले ऐसे राजनेता हैं, जो दो राज्यों के
मुख्यमंत्री रहे।
– बजट पेश करने का रिकार्ड : उत्तरप्रदेश की विधानसभा सबसे अधिक नौ बार बजट पेश करने
का रिकार्ड भी एनडी तिवारी के नाम है। उन्होंने वित्त मंत्री व मुख्यमंत्री के रूप में बजट
पेश किए।
– तीन पीढ़ियों के गवाह : एनडी देश के उन चंद दुर्लभ नेताओं में थे, जो गांधी और नेहरू के
दौर में सक्रिय राजनीति में रहे। गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के गवाह एनडी ने नेहरू,
इंदिरा, राजीव गांधी के साथ काम किया।
– देश के नंबर टू मंत्री : केंद्रीय राजनीति में एक दौर ऐसा भी आया जब एनडी प्रधानमंत्री
की कुर्सी से कुछ कदम दूर थे। उनके हाथों में केंद्र में वित्त, विदेश, वाणिज्य, उद्योग, श्रम
सरीखे अहम मंत्रालयों की कमान रही।
– चार बार मुख्यमंत्री: उत्तरप्रदेश सरीखे बड़े राज्य के एनडी चार बार मुख्यमंत्री रहे।
– पांच साल के इकलौते मुख्यमंत्री: एनडी तिवारी के नाम उत्तराखंड में पूरे पांच साल
मुख्यमंत्री रहने का भी रिकार्ड है। उनके बाद राज्य में भाजपा और कांग्रेस सरकारों में कोई
मुख्यमंत्री पांच का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।