वाराणसी। वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर योजना को करारा झटका लगा है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद की ओर से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर योजना पर रोक लगाते हुए अब इस संबंध में वाराणसी के जिला प्रशासन सहित उत्तर प्रदेश सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
उच्च न्यायलय इलाहबाद के न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र त्रिपाठी की डबल बेंच ने गुरुवार को किराएदार मुन्नी तिवारी एवं अन्य लोगों की ओर से दाखिल याचिका पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन, डीएम, एसएसपी और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह को इस संबंध में 3 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने आदेश दिया है।
उच्च न्यायलय इलाहाबाद में दाखिल याचिका में कहा गया था कि मकान मालिको से सांठ गांठ करके मन्दिर और जिला प्रशासन पहले विश्वनाथ मन्दिर के आसपास के मकानों को विस्तारीकरण के नाम पर ख़रीदा और फिर वर्षो से उन मकानों में रह रहे किराएदारों को जबरन बेदखल कर इन मकानों को तोड़ा जा रहा हैं जो पूरी तरह से गलत है। इतना ही नहीं छोटे छोटे जो मंदिर इस योजना के बीच में आ रहे है। जिला प्रशासन उन्हें भी ध्वस्त करने से नहीं चूक रहा जबकि सरकार राम के नाम पर ही आई है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ज्ञानवापी मोड़ स्थित विट्ठल भवन को भी प्रशासन ने खरीद लिया है और इसमें रह रहे 18 किराएदारों को निकाल कर अब इसे ध्वस्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं के इसी अनुरोध पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार और जिला प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए अब इस मामले में हलफनामा दायर करने के आदेश दिए हैं। गौरतलब है कि ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंन्द सरस्वती जी के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में प्रशासन द्वारा मकानों में स्थित मंदिरों को तोडे जाने के विरोध में पिछले एक पखवाडे से आन्दोलनरत है।