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50 सालों से गुलामी भरी जिंदगी जीने वाली ‘फूलकली’ ने पूरे किए आज़ादी के 12 साल

by pawan sharma

मथुरा। सड़कों पर भीख मांगने वाली कष्टदायक जिंदगी से बचाई गई, फूलकली एक मादा हथिनी है जिसको 2012 में वाइल्डलाइफ एसओएस ने बचाया था। वन्यजीव संरक्षण संस्था – वाइल्डलाइफ एसओएस इस बुजुर्ग हथिनी को मथुरा स्थित उनके हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में एक सुरक्षित आश्रय में लेकर आई, जहाँ आज उसने अपनी आजादी के 12 साल पूरे कर लिए हैं।

50 वर्षों से भी अधिक समय तक हथिनी फूलकली को दुर्व्यवहार और पीड़ा सहनी पड़ी, जहाँ उससे उत्तर प्रदेश की सड़कों पर भीख मंगवाई जाती थी। गर्म तारकोल वाली सड़कों पर लगातार घंटों तक चलने से हथिनी को पैरों में गंभीर समस्याएं हुई, जिनमें पैर के नाखूनों में फोड़े, फटे हुए फुटपैड और संक्रमित घाव थे। जब वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने 2012 में उसे बचाया और हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में लाए, तब उसकी रीढ़ की हड्डी उभरी हुई थी और गंभीर कुपोषण और निर्जलीकरण के लक्षण दिखाई दे रहे थे।

उसके आगमन के बाद से, आज फूलकली का जीवन पहले से बेहतर है, क्योंकि एनजीओ की पशु चिकित्सा टीम और हाथी देखभाल कर्मचारियों ने धीरे-धीरे उसे ठीक किया और उसे आरामदायक महसूस कराया। औषधीय फुटबाथ, पैर के नाखून ट्रिमिंग सत्र, आरामदायक हाइड्रोथेरेपी सत्र और पौष्टिक आहार के साथ, उसके स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। उसकी मानसिक स्थिति में भी सुधार हुआ क्योंकि 67 वर्षीय हथिनी को सहारे के रूप से निवासी मादा हथनियां एम्मा और माया में साथी मिले।

डॉ. इलियाराजा, उप निदेशक- पशु चिकित्सा सेवाएं, वाइल्डलाइफ एसओएस ने बताया कि “फूलकली के लिए एम्मा और माया के साथ ने उसकी उपचार और आज़ादी की इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तीनों एक साथ दैनिक सैर पर जाती हैं और तीनो का एक दुसरे के प्रति प्यार को देखना हमारे लिए एक अद्भुत दृश्य है।”

आज फूलकली पूरी तरह से बदल चुकी है जिसे वाइल्डलाइफ एसओएस केंद्र के विशाल क्षेत्रों का पता लगाना और प्राकृतिक वनस्पति में चारा ढूंढना पसंद है। उसकी आज़ादी की 12वीं वर्षगाँठ पर, वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने फूलकली के लिए फ्रूट फीस्ट (फलों की दावत) का आयोजन किया। इस भव्य दावत में तरबूज़, कद्दू और केले शामिल थे, जिसका फूलकली ने अपनी साथियों के साथ भरपूर आनंद उठायाl

फूलकली को पानी बहुत पसंद है, जो इस बात से पता चलता है कि वह अपने पूल में अधिकतर समय बिताना पसंद करती है, चाहे वह उसके बाड़े में पूल में हो या केंद्र में मौजूद हाइड्रोथेरेपी पूल, यह अनुभव उसके लिए कुछ ऐसा है जो उसने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया था।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि “जंगल में मादा हथनियां अक्सर बड़े झुंड में रहती हैं। भले ही फूलकली के पास यहां कोई झुंड नहीं है, लेकिन उसने अपने साथियों के साथ जो तिकड़ी बनाई है, वह उसे हर दिन आगे बढ़ने की भावनात्मक ताकत देती है।”

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