आगरा। जिस सांप का नाम सुनने से आपके रोंगटे खड़े हो जाए, जिस सांप का नाम सुनने से आप की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ जाए। वही सांप मासूमों के लिए खिलौना बना हुआ है।
सांप और मासूम बच्चों की दोस्ती का यह सिलसिला वर्षों पुराना है। आइए आपको ले चलते हैं उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर स्थित गांव सोहरन का पुरा में।जहां मासूम बच्चे सांप के साथ खाते हैं,सोते हैं, रोते हैं।और साथ ही साथ रहते हैं। दरअसल यह गांव सपेरों का है। पूरे गांव में सपेरे की सपेरे रहते हैं । सांप का खेल तमाशा करना, उससे पैसे कमाना, इनके परिवार की रोजी और रोजगार बन गया है। मगर ऐसा नहीं है। सपेरों के अलावा यह मासूम बच्चे सांप को सांप को खिलौना बना रखें है।रोज सुबह उठना , सांप को दूध पिलाना, सांप के साथ दिन पर नाचना, सांप को गले का हार बनाकर डालना और जो चाहो वह सांप के साथ करो। ब्लैक कोबरा, घोड़ा पछाड़, और तमाम बो खतरनाक सांप जिनकी मात्र एक फुसकार से आदमी मौत की नींद सो जाए। मगर यहां सांप इनका मित्र बन चुका है। सांप के साथ खेलना इन मासूमों के लिए दिनचर्या बन गई है।
मून ब्रेकिंंग की टीम सोहरन का पुरा गांव में पहुंची । सोहरन का पुरा गांव उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर पर स्थित है। यहां आप वीडियो में साफ देख सकते हैं कि एक तरफ बीन बज रही है। ब्लैक कोबरा और घोड़ा पछाड़ जैसे खतरनाक सांप के साथ में मासूम जमकर नाच रहे हैं। कभी सांप को गले में डालना, सांप की फुसकार के साथ में उसकी फन को पकड़ लेना और सांप के साथ में नाचना यह इनका दिन भर का काम है।भले ही आप को सांप से डर लगता हो। सांप के नाम से आपके रोंगटे खड़े हो जाते हो, जिस सांप के नाम से आप की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ जाता हो मगर शायद सोहरन का पुरा गांव में रहने वाले इन मासूमों के लिए सांप खिलौना बन गया है। और शायद वर्षों से रहने वाला सांप भी अब इन मासूमों को अपना मित्र और बच्चा समझने लगा है।