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दिहाड़ी मजदूर के बेटा-बेटी बने पुलिस अफसर, वर्दी में देख गर्व से उठा सिर

by pawan sharma

Agra. शिक्षा का क्या महत्व होता है यह इसी से पता चलता है कि एक मजदूर व्यक्ति जो कम पढ़ा लिखा था। उसकी पत्नी भी कम पढ़ी लिखी थी। दिहाड़ी पर मजदूरी करता था और मुफलिसी में जीवन व्यतीत कर रहा था लेकिन अपने बच्चों को कैसे शिक्षित बनाना है, उन्हें इस मुफलिसी से बाहर रखना है यह सपना अक्सर उसकी आंखों में रहता था। इसीलिए ₹6000 महीने की नौकरी करने वाला यह दिहाड़ी मजदूर ओवरटाइम करने लगा और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने लगा। पिता की मेहनत इन बच्चों को भी समझ आई। इसीलिए अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया। जैसे ही भाई और बहन दोनों खाकी पहन कर घर पहुंचे तो पिता का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खाकी पहने हुए भाई-बहन ने अपने पिता और माता को खाकी टोपी पहनाई और सेल्यूट किया तो दोनों की आंखें भर आई। उसने गर्व से कहा कि अब मैं उन लोगों के लिए सबक बन गया हूं जो मेरी मुफलिसी और मेहनत को देखकर हंसते थे।

1 महीने में 45 दिन का किया काम

सुनने और पढ़ने में यह खबर भले ही किसी कहानी से काम नहीं हो लेकिन हकीकत है। बारहखंबा निवासी भाई बहन का उप निरीक्षक पद पर एक साथ चयन हुआ है जिससे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। अपने बेटे और बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए एक पिता का संघर्ष हर किसी के लिए प्रेरणा से कम नहीं है। बलवीर बताते है कि मैं और पत्नी अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे, इसलिए परिवार चलाने के लिए मुझे दिनरात मेहनत करनी पड़ती थी। सभी के लिए महीने में 30 दिन होते हैं, लेकिन मैंने नाइट शिफ्ट लगाकर 45 दिन काम किया तब जाकर महीने के छह हजार रुपये कमाए ताकी बच्चों की पढ़ाई का संकट न हो।

बच्चों ने देखा संघर्ष

बलवीर बताते हैं कि मेरा संघर्ष बच्चे भी देखते थे, जिसके कारण उन्होंने सीमित संसाधनों में भी अपना शत-प्रतिशत दिया और एकसाथ दो बच्चों ने उप्र पुलिस में उप निरीक्षक पद प्राप्त कर मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। यह कहते हुए अर्जुन नगर, बारह खंभा निवासी बलवीर सिंह की आंखें खुशी के आंसुओं से नम हो गई। हों भी क्यों न मिर्जापुर पुलिस अकादमी में 13 मार्च को हुए पुलिस पासिंग आउट परेड में उनका बेटा शिशांक कमलेश और पुत्री सिमरन कमलेश ने उप्र पुलिस में उप निरीक्षक पद प्राप्त किया है। पुत्र को वर्तमान में लखनऊ के जानकीपुरम थाने में तैनाती मिली है।

बीटेक है पुत्र, पुत्री बीटीसी

बलवीर बताते हैं कि उप निरीक्षक बने बेटे शशांक ने 10वीं और 12वीं शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कालेज और बीटेक आरबीएस बिचपुरी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से की। इसके बाद एक निजी कंपनी में नौकरी की। मन नहीं लगा, तो वर्ष 2021 में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की। इसी वर्ष यूपी पुलिस में उप निरीक्षक पद पर भर्ती निकली, तो पहली ही बार में अच्छी रैंक लाकर चयन प्राप्त किया। बेटी सिमरन कमलेश ने आगरा कालेज से एमएससी की पढ़ाई की। इसके बाद बीटीसी की है। सिमरन साइंस, मैथ की स्टूडेंट रही है। इसलिए वह सीजीएल की परीक्षा की तैयारी कर रही थी, लेकिन पिता के कहने पर उसने यूपी पुलिस का फॉर्म भर दिया। पहले ही अटेप्ट में सिमरन का चयन सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया।

टोरेंट पॉवर में लाइन खाेदने करते हैं बलवीर

बलवीर सिंह बताते हैं कि मैं टोरेंट पावर में संविदा पर लाइन खोदने व तार जोड़ने का काम करता हूं। रोजाना 200 रुपये की दिहाड़ी मिलती है। इतने में गुजारा नहीं होता, 15 दिन रात में ओवर टाइम करके थोड़ा अतिरिक्त कमाकर परिवार का भरण पोषण जैसे-तैसे करता था। पढ़ाने के लिए पैसे कम न पड़े, कभी त्योहार पर भी नए कपड़े ही पहने। न रात देखी, न दिन। बस बच्चों को अफसर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत मजदूरी करता रहा। दलित बस्ती में छोटा सा घर है, जिसमें पति-पत्नी, दो पुत्र और पुत्री रहते हैं। 

वर्दी में देख भावुक हो गए बलवीर

बलवीर ने बताया कि वह साधारण व्यक्ति हैं। उन्होंने कभी किसी पुलिस वाले से आंखे नहीं मिलाई हैं, लेकिन आज बेटा और बेटी को पुलिस अधिकारी की वर्दी में देखकर उसे बड़ा गर्व महसूस हो रहा है। मैंने जो सपना देखा था कि मेरे बच्चों ने पूरा किया है। दोनों बच्चों ने जब बलवीर को वर्दी में सैल्यूट किया तो वे भावुक हो उठे। शिशांक और सिमरन अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता को दिया है। दोनों ने बताया कि वे आगे उन बच्चों के लिए काम करेंगे जो पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण पिछड़ जाते हैं।

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