आगरा। ट्रेनों में बायोगैस प्लांट लगाने के साथ-साथ आगरा रेल मंडल ने एक ओर नई उपलब्धि हासिल कर ली है। आगरा रेल मंडल के रनिंग रूम में बायोगैस प्लांट लगाया गया है और यहां पर फलों के छिलके, वेस्टेज खाना, रनिंग रूम में एकत्रित होने वाला कूड़ा और दैनिक क्रिया की गंदगी से बायोगैस बनाई जा रही है। इसी बायोगैस से ही रनिंग रूम में चालक, परिचालक, गार्ड और रनिंग के तमाम स्टाफ का खाना तैयार किया जा रहा है। आगरा रेल मंडल में आगरा कैंट स्टेशन का पहला रनिंग रूम है जिसमें बायोगैस प्लांट लगाया गया है और उसी गैस का उपयोग करते हुए रनिंग स्टाफ का खाना तैयार हो रहा है। रनिंग रूम में निकलने वाले तमाम कचरे को चाहे वह खाने से संबंधित हो, पेड़-पौधों का कचरा हो या फिर दैनिक क्रिया का सब को एकत्रित कर बायोगैस प्लांट में ले जाकर उसका निस्तारण कर बायोगैस बनाई जा रही है।
बायोगैस प्लांट को लेकर रेलवे विभाग गंभीर नजर आ रहा है। इसलिए तो रेलवे विभाग ने पहले अपनी ट्रेनों में बायोगैस प्लांट से ट्रैन के टॉयलेट को की पूरी व्यवस्था की जिससे दैनिक क्रिया के दौरान निकलने वाली गंदगी को एकत्रित कर उसको उपयोग में लाकर बायोगैस बनाई जा रही है। इस प्रक्रिया से रेलवे के तमाम स्टेशनों की पटरियों पर दैनिक क्रिया की गंदगी दिखाई नहीं देती और रेलवे स्टेशन भी साफ स्वच्छ नजर आते हैं।
वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर परिचालन, उत्तर मध्य रेलवे आगरा रेल मंडल के राहुल त्रिपाठी का कहना था कि कैंट स्टेशन के रनिंग रूम में आने वाले चालक परिचालक और गार्ड के लिए खाना तैयार किया जाता है। कर्मचारियों के खाने के वेस्टेज, फल सब्जी के छिलके से बायोगैस बनाई जा रही है और इसमें दैनिक क्रिया की गंदगी को भी बायोगैस बनाने में प्रयोग किया जा रहा है।
कैंट स्टेशन के रनिंग रूम में लगे बायोगैस प्लांट में प्रतिदिन 80 किलो के कचरे से बायोगैस बनाई जा रही है। बायोगैस बनने के बाद कचरा खाद का रूप ले लेता है इसलिये इस कचरे को खेती में उपयोग में लाया जा रहा है।
फिलहाल रेलवे अपने विभाग के कचरे का सदुपयोग कर रहा है जिससे कचरे से गंदगी न हो और बायोगैस भी बनती रहे।