आगरा। शुक्रवार से ताजमहल में शुरु हुआ शहंशाह शाहजहां का 363 वें उर्स का समापन हो गया। इस उर्स के समापन के दिन खुद्दम ए रोजा कमेटी की ओर से सुबह कुल शरीफ, कुरान खानी और फातिहा पड़ी गयी तो दिन भर शाहजहाँ की कब्र पर सजदा का कार्यक्रम चलता रहा। दोपहर दो बजे के बाद खुद्दम ए रोज़ा कमेटी की ओर से चादर पोशी का आयोजन किया गया।
संस्था की ओर से यह परम्परा दशकों से चली आ रही है उर्स के समापन पर सतरंगी चादर चढाई जाती है जो सर्व धर्म एकता का प्रतीक होती है। खुद्दम ए रोजा कमेटी की ओर से शाहजहां के उर्स में 1111 मीटर की चादरपोशी शाहजहां की मजार पर की गयी।
यह चादर पोशी खुद्दामे रोजा कमेटी के अध्यक्ष हाजी ताहिर उसद्दीन ताहिर के नेतृत्व में निकली गयी। जिसकी शुरुआत ताजमहल के दक्षिण गेट हनुमान मंदिर से हुई और शहंशाह की मजार पर पहुँची। इस चादर पोशी में सर्वधर्म के गुरुओं और लोगों ने भाग लिया। जायरीनों ने मजार पर पहुँच देश और अपने परिजनों की खुशहाली की दुआ मांगी।
खुद्दम ए रोजा कमेटी के अध्यक्ष ताहिर उद्दीन ताहिर ने बताया कि यह चादर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर कहलाती है। जिसे सभी धर्म के लोग मिलकर तैयार करते है। इस चादरपोशी से भाईचारे और एकता का सन्देश जाता है।
तीन दिनों तक चले उर्स के दौरान ताजमहल का लाखों देशी विदेशी पर्यटक ने दीदार किया और इस दौरान शहंशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की असली मजार का भी देखा जो अमूमन आम दिनों में पर्यटकों के लिये खुली नहीं होती।