देश की नई शिक्षा नीति के मुताबिक अब सही और तथ्यों से मिलते इतिहास को स्थान दिया जाएगा । यह फैसला शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई समिति ने लिया। दरअसल आपको बता दें स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास को दुरुस्त किया जाएगा। साथ ही ब्राह्मण और गैर ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास के पन्नों से हटाया जाएगा। लंबे समय से यह जानकारी चली आ रही थी कि ऐसे सभी भ्रामक और गैर ऐतिहासिक तथ्यों को हटाया जाएगा, जो देश की महान विभूतियों की छवि को गलत तरीके से पेश कर रहे थे। वहीं इतिहास के काल खंडों को भी नए रूप में दर्शाया जाएगा।
बता दें शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने यह कदम उस वक्त उठाया है, जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रम को नए सिरे से तैयार करने का काम चल रहा है। वहीं समिति का कहना है कि पाठ्यक्रम में जो भी चीजें पढ़ाई जाएं, वे एकपक्षीय न होकर पूरी तरह से तथ्यपरक होनी चाहिए। बता दें समिति ने देशभर के शिक्षाविदों और छात्रों से 15 जुलाई 2021 तक सुझाव मांगे हैं।
समिति इन बिंदुओं पर करेगी कार्य :-
- पाठ्यक्रमों से राष्ट्रीय नायकों के बारे में गैर-ऐतिहासिक और भ्रामक तथ्यों के संदर्भों को हटाने का कार्य।
- भारतीय इतिहास की सभी अवधियों के लिए समान या आनुपातिक संदर्भ सुनिश्चित करने पर जोर।
- गार्गी, मैत्रेयी, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, रानी चन्नम्मा, चांद बीबी, झलकारी बाई आदि जैसी शासिकाओं और महान ऐतिहासिक महिला नायकों की भूमिका पर प्रकाश डालने पर विशेष बल देगी।
अब स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास के काल खंडों को लेकर भी प्रश्न चिन्ह लगाए गए हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि स्कूली पाठ्यक्रम में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है, उनमें मध्यकालीन इतिहास को ज्यादा वरीयता दी जा रही है। जबकि इस काल में मुगलों और अन्य आक्रांताओं का इतिहास बताया गया है। मौजूदा समय में प्राचीन और आधुनिक इतिहास के विषय में ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। समिति का कहना है कि सभी कालों को समान रूप से पढ़ाया जाना चाहिए।