आगरा। कक्षा चार की हिंदी पाठ्य पुस्तक हिंदी सुरभि में महर्षि वाल्मीकि की जीवनी पर लिखे लेख ने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। इस पाठ्य पुस्तक में डाकू बना साधू नाम से पाठ को स्कूल में पढ़ाया जा रहा है। महर्षि वाल्मीक को डाकू बताये जाने से वाल्मीक समाज के लोगों में एक बार फिर खासा रोष देखने को मिल रहा है। आदिकवि महर्षि वाल्मीक के प्रति पाठ्य पुस्तक में डाकू शब्द का प्रयोग किए जाने से वाल्मीक समाज के लोगों ने अखिल भारतीय वाल्मीकि महासभा के बैनर तले नगर निगम में धरना दिया और इस पुस्तक के प्रकाशक और इस लेख को लिखने वाली लेखिका के खिलाफ जम कर अपना आक्रोश व्यक्त किया।
आक्रोशित वाल्मिक समाज के लोगों का कहना था कि कुछ लोग जानबूझकर काल्पनिक लेख लिखकर महर्षि वाल्मीकि को डाकू बता रहे हैं जिसे बर्दाश नहीं किया जायेगा।
हिंदी सुरभि पाठ्य पुस्तक में डाकू बना साधू नाम से एक पाठ है जिसमें लेखिका ने महर्षि वाल्मीक की जीवनी को दर्शाया है। लेखिका के मुताबिक महर्षि वाल्मीकि पहले डाकू थे जो बाद में साधु बन गए थे।
समाज के लोगों का कहना था कि अगर पाठ्यपुस्तक में इस तरह के लेख होंगे तो महर्षि वाल्मीकि के बारे में छात्रों को गलत जानकारी मिलेगी जो सही नहीं है। इस लेख से महर्षि बाल्मीकि का अपमान किया गया है और यह अपमान समूचे बाल्मिक समाज का भी है। समाज के लोगों ने मांग की है कि जल्द से जल्द इस पाठ्य पुस्तक से डाकू बना साधुनाम का लेख हटना चाहिए।
समाज के लोगों ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द से जल्द इस गलती को नहीं सुधारा गया तो समूचा वाल्मीक समाज अरविंद प्रकाशन और लेखिका ज्ञान प्रवाह के खिलाफ सड़कों पर उतर आएगा।