Agra. जगदीशपुरा की चार बीघा जमीनी मामला। एसओ जगदीशपुरा हुए निलंबित, आबकारी प्रभारी निरीक्षक सेक्टर चार पर कार्यवाही और एक आरोपी पकड़ा गया। अब कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय पत्रकारों से रूबरू हुए। इस जमीनी प्रकरण में नाम आने पर विधायक योगेंद्र उपाध्याय पहली बार पत्रकारों के सामने आए और अपना पक्ष रखते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा कि बेवजह इस मामले में उनका नाम घसीटा जा रहा है। उसे मुद्दे पर कोई बात नहीं करता कि आखिर का यह जमीन किसकी थी और इस जमीन पर कब्जा कौन कर रहा है।
मीडिया से रूबरू होते हुए योगेंद्र उपाध्याय ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर कुछ नहीं बोला केवल अपना पक्ष रखते चले गए। उन्होंने कहा कि इस जमीन से लगभग 20 साल पहले उनका संबंध रहा। यह जमीन एक जैन परिवार की थी और एक बिल्डर ऋषि के साथ संपर्क में आए। इस जमीन में साझेदारी की लेकिन विवाद के पता चलते ही उन्होंने अपने हाथ खींच लिए और लिखित में इस पार्टनरशिप से अलग हो गए।
उन्होंने रवि कुशवाहा पर भी सवाल खड़ा किया। उनका कहना था कि रवि कुशवाहा तो जैन परिवार का चौकीदार था जबकि जैन परिवार और टहल सिंह में फर्म मिल को लेकर साझेदारी हुई। इस साझेदारी के चलते 1973 में टहल सिंह ने अपनी जमीन फर्म मिल को दी थी। 1980 में सिंह फिर से अलग हो गए। आपसी सहमति से डिसोल्यूशन डीड भी की गई और इस डीड में लिखा था कि टहल सिंह अपने हिस्से की पूंजी लेकर अलग हो रहे है। इसके लिए टहल सिंह ने जैन परिवार को लिखित रूप में और नगर पालिका आगरा के अभिलेखों से नाम हटवाने का अनापत्ति पत्र भी दिया था जो अभी भी निगम की अभिलेखों में चल रहा है।
प्रेस वार्ता के दौरान कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने एक प्रेस रिलीज भी सभी पत्रकारों को दिया जिसमें लिखा था कि जैन परिवार का चौकीदार रवि कुशवाहा को फर्जी रजिस्ट्री धारक मैनपुरी के मनोज यादव पुत्र आदि ने लालच दिया। इसी में अपने साथ राजकुमार को भी साझेदारी कर लिया। मनोज यादव सैफई परिवार का निकटतम साथी है। वहां से पुलिस प्रशासन से दबाव बनवाकर चौकीदार को रवि कुशवाहा को पुनः स्थापित कर दिया। यह भी चर्चा है कि सैफई परिवार के संबंधों के आधार पर मनोज यादव ने कई सरकारी विभागों की जमीनों पर भी कब्जा किया हुआ है। विवादित जमीन को खरीद कर उनके फर्जी रजिस्ट्री को बैंक में रखकर लोन भी वसूलता है।