आगरा। फतेहाबाद के यमुना नदी के जोनेश्वर घाट पर करीब 70 साल से मिटटी में दबीं सीढ़ियों को निकाला तथा जेसीबी से यमुना की धारा को मोड़कर यमुना नदी के जल को घाटों की सीढ़ियों से स्पर्श कराया जब यमुना नदी ने घाटों से स्पर्श किया उस समय सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण तथा फतेहाबाद के लोग उस क्षण के गवाह बने। फतेहाबाद के समाजसेवियों के भागीरथी प्रयास की सभी ने सराहना की। यमुना नदी के घाटों से स्पर्श करते ही वहां पर यमुना आरती तथा दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। फतेहाबाद के जोनेश्वर घाट पर मराठाकालीन शिव मंदिर बना हुआ है वहीं यमुना नदी में स्नान के लिए 14 -14 सीढ़ियों के तीन पक्के घाट भी बने हुए हैं करीब 70 साल पहले भीषण बाढ़ में ये सभी घाट मिट्टी के अंदर दब गए तथा लगातार दबते ही चले गए कस्बे के समाजसेवियों ने बुजुर्गों से उन सीढ़ियों के बारे में सुना था तथा यमुना को पुरातन स्वरूप में लाने का दृढ़ निश्चय किया इसके बाद लोगों ने चंदा एकत्रित कर जेसीबी से खुदाई करायी दस दिन तक लगातार जेसीबी से खुदाई चलती रही जिसके बाद घाटों की सीढ़ियों निकल आयी तथा जेसीबी से ही यमुना नदी की धारा को मोड़ा गया मंगलवार देर रात यह कार्य सम्पन्न हुआ इस दौरान लोगों ने यमुना नदी के जयकारे लगाए तथा घाट पर यमुना आरती के साथ दीपदान किया। इस दौरान प्रमुख रूप से प्रमोद गुप्ता, उत्तम चंद, रतन लोहिया, गोपाल गुप्ता, आलोक बछरवार, श्यामवीर गुर्जर, शिवम पखरिया, तरुण चक सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
इन भागीरथ बने समाजसेवियों ने यहाँ मोड़ दी यमुना की धारा, हुआ दीपदान
by pawan sharma
written by pawan sharma
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