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विश्व मजदूर दिवस : तुलाराम शर्मा ने मजदूरों के लिए रोजगार गारंटी योजना लागू करने की उठाई मांग

by pawan sharma

Agra. आज विश्व मजदूर दिवस है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश के निर्माण में श्रमिकों के योगदान को याद करना और सम्मानित करना है। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना और इसके प्रति उन्हें जागरूक करना भी जरूरी है लेकिन मजदूरों की स्थिति कोविड के बाद से खराब होती चली गई जिसमें अभी तक सुधार नहीं आ पाया है। इसको लेकर मजदूर संगठन काफी चिंतित है। इन संगठनों में से एक उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन है जिसने उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार से मजदूरों के लिए रोजगार गारंटी योजना लागू करने की मांग की है।

मजदूरों के हित की लड़ाई लड़ रहे उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन ने केंद्र व राज्य सरकार से मांग की है कि कोविद के बाद हालात बदले हैं। मजदूरों की स्थिति खराब होती चली जा रही है। अब मजदूर गरीबी रेखा से भी नीचे पहुंच गया है, आर्थिक रूप से कमजोर है। लेबर चौक पर भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है। इसीलिए सरकार रोजगार गारंटी योजना लाएं जिससे मजदूरों को कम मिल सके।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन ने यह भी मांग की है कि अगर सरकार रोजगार नहीं दे पा रही तो मजदूरों के कौशल को बढ़ाया जाए। उन्हें विभिन्न प्रकार के कामों की ट्रेनिंग दी जाए जिससे वह हाथ के कारीगर बने और आत्मनिर्भर बन सके। उत्तर प्रदेश ग्रामीण संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने केंद्र राज्य सरकार से मांग की है कि जो भी श्रमिक संगठन श्रमिकों के उत्थान और आर्थिक व शैक्षिक रूप से मजबूत बना रहा हो ऐसे संगठनों को सम्मानित करने के लिए श्रम शक्ति पुरस्कार की शुरुआत की जाए और इस सम्मान से उन्हे सम्मानित किया जाए।

ऐसे हुई विश्व मजदूर दिवस की शुरुआत

आज से लगभग 135 साल पहले अमेरिका में श्रमिकों की हालत बेहद खराब थी। उन्हें एक दिन में लगभग 15 घंटे काम करना पड़ता था। उनके काम की जगह पर सफाई भी नहीं होती थी और न वे जगहें हवादार होती थीं। इन्हीं बदतर परिस्थितियों से परेशान होकर मजदूरों ने हड़ताल करने का फैलसा किया और 01 मई 1886 को कई श्रमिक अमेरिका की सड़कों पर उतर गए। उनकी मांग थी कि काम के घंटों को 15 घंटे से घटाकर 8 घंटे किया जाए और काम की जगह में भी सुधार किए जाएं। हालांकि, पुलिस को जब लगा कि स्थिति काबू से बाहर जा रही है, तो उन्होंने गोलियां चला दी, जिसमें 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थे और कई श्रमिकों की जान भी चली गई थी। इसी दिन को याद करते हुए 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया गया।

भारत में मजदूर दिवस:-

1 मई 1889 में अमेरिका के मजदूर दिवस मनाने के प्रस्ताव के 34 साल बाद भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। देश में मजदूर अत्याचार और शोषण के खिलाफ आवाज उठी तो 1 मई 1923 में पहली बार चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने का ऐलान किया गया।

मजदूर दिवस की थीम

हर साल मजदूर दिवस की एक विशेष थीम निर्धारित होती है। मजदूर दिवस 2023 की थीम ‘सकारात्मक सुरक्षा और हेल्थ कल्चर के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करना। इस वर्ष मजदूर दिवस 2024 का फोकस जलवायु परिवर्तन के बीच कार्यस्थल सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने पर है।

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