Home » प्रोविजनल डिग्री से बचा रहे हैं भविष्य, ऑरिजिनल के लिए आगरा विवि के 2 साल से काट रहे हैं चक्कर

प्रोविजनल डिग्री से बचा रहे हैं भविष्य, ऑरिजिनल के लिए आगरा विवि के 2 साल से काट रहे हैं चक्कर

by admin
Agra University's PhD entrance exam date announced, admit cards will be available from this day

आगरा। डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के डिग्री विभाग की लापरवाही से जहाँ एक छात्र पिछले दो साल से भटक रहा है वहीं मथुरा की एक छात्रा 15 महीने से विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रही है। दोनों छात्र-छात्रा ने डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया लेकिन एमए विभाग है कि उनकी डिग्री अभी तक बनाकर नहीं दे पा रहा। एक तरफ जहां कुलपति विश्वविद्यालय की छवि सुधारने में लगे हैं वहीं विभाग के कुछ कर्मचारी ही विवि की छवि को बट्टा लगाते नजर आ रहे हैं। हालांकि ये बात भी दीगर है कि खुद कुलपति भी अपने एक परिचित की डिग्री आगरा विश्वविद्यालय से नहीं दिला पाए।

डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में डिग्री बनाने के लिए आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया था। इसके बाद से छात्र छात्राओं को ओरिजिनल और प्रोविजनल डिग्री बनवाने को ऑनलाइन जाकर आवेदन करना होता है जिसके लिए छात्र छात्राओं को आवेदन शुल्क भी जमा करना होता है लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया अब छात्र छात्राओं के लिए सिरदर्द बनती नजर आ रही है। समय से डिग्री ना मिल पाने की वजह से छात्र छात्राओं को विभाग के चक्कर काटने पड़ रहे हैं और उनका भविष्य खराब होते नजर आ रहा है।

दरअसल बरहन निवासी मुकेश कुमार ने विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेज से 2004 में बीए और 2006 में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद मुकेश टीजीटी की तैयारी कर रहे थे जिसमें उन्हें साक्षात्कार के लिए इलाहाबाद जाना है। जहां पर उन्हें उनके पाठ्यक्रम से संबंधित डिग्री साथ लेकर जानी है जिसके लिए मुकेश ने जून 2018 में एमए और बीए की डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। लेकिन करीब 2 साल बीतने के बाद भी छात्र विश्वविद्यालय में चक्कर काटने को मजबूर है और अब वह करीब चौथी बार प्रोविजनल डिग्री निकलवा कर अपना भविष्य बचाने में लगा हुआ है।

मुकेश कुमार ने बताया कि उसकी एमए की डिग्री जब कई दिनों तक बनकर नहीं आई तो वह विभाग में पता करने गया। जहां पर विभाग प्रभारी शिव सिंह कुशवाह ने छात्र से एमए की मूल अंकतालिका की मांग की, जबकि हर छात्र-छात्रा की अंकतालिका की प्रति ऑनलाइन अपलोड रहती है। छात्र का कहना है कि बिना वजह के उससे चक्कर लगवाए जा रहे हैं और अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है।

मुकेश कुमार ने बताया कि एमए के साथ साथ उसने बीए की डिग्री के लिए भी आवेदन किया था लेकिन बीए की डिग्री का भी यही हाल है। करीब 836 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक बीए की डिग्री चार्ट रूम में ही फंसी हुई है जिसकी वजह से उसे चार्ट रूम के भी चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

मथुरा की रहने वाली शशिबाला ने बताया उसने बीएसए कॉलेज मथुरा से 2006 में एमए किया था। करीब 15 महीने पहले एमए की डिग्री के लिए ऑनलाइन आवेदन किया लेकिन डिग्री ना बनने पर जब विभाग में पता किया तो प्रभारी शिव सिंह कुशवाहा का कहना था कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में तुम्हारे पास कोई भी एनरोलमेंट नंबर नहीं है इसीलिए यह डिग्री नहीं बन सकती। वहीं छात्रा ने बताया कि मैं ओरिजिनल और डुप्लीकेट अंक तालिका विश्वविद्यालय से बनवा चुकी हूं जिस पर अंकित एनरोलमेंट नंबर को विभाग ने वेरीफाई किया था उसके बावजूद भी एनरोलमेंट नंबर को गलत बता रहे हैं। 15 महीने हो चुके हैं तब से मैं लगातार चक्कर लगा रही हूं लेकिन अभी तक मेरी डिग्री नहीं बनी है।

कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल का कहना है कि छात्र-छात्राओं की डिग्री की प्रक्रिया में सुधार किया जा रहा है और विभाग को निर्देशित कर दिया गया है। कोशिश की जा रही है कि अनावश्यक रूप से किसी भी छात्र-छात्रा को बार-बार परेशान ना किया जाए और जल्द से जल्द उनकी डिग्री उपलब्ध कराई जाए जिससे उनका भविष्य भी खराब ना हो।

Related Articles