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National Epilepsy Day : इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल से छोटे बच्चे भी हो रहे हैं मिर्गी का शिकार, जाने कैसे बचें

by admin
National Epilepsy Day: Even small children are becoming victims of epilepsy due to the use of electronic gadgets, know how to avoid it

Agra. भारत में मिर्गी के प्रति लोगों को जागरूक करने बनाने और जागरूकता पैदा करने के लिए पैदा करने के लिए प्रति वर्ष 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। इस दौरान स्वास्थ्य संस्थानों पर आने वाले मरीजों व परिजनों को मिर्गी रोग से बचाव व उपचार के बारे में जानकारी दी जाती है। सरकार के द्वारा भी इस संबंध में ठोस कदम उठाए जा रहे है।

न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है मिर्गी

चिकित्सक मुकेश भारद्वाज ने बताया कि मिर्गी (Epilepsy) एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जिससे दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होती हैं। दिमाग में गड़बड़ी के चलते इंसान को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं। दौरा पड़ने पर दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर लड़खड़ाने लगता है। इस भयंकर बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए भारत में हर साल 17 नवंबर को ‘नेशनल एपिलेप्सी डे’ (National Epilepsy Day 2020) मनाया जाता है।

कभी भी हो सकती है मिर्गी

डॉ मुकेश भारद्वाज का कहना है कि मिर्गी कभी भी हो सकती है। यह अनुवांशिक भी होती है तो वहीं बड़े युवक को भी मिर्गी के दौरे पड़ सकते हैं। छोटे बच्चों में मिर्गी का रुख देखा जा रहा है। इसका मुख्य कारण डिलीवरी के दौरान जिन बच्चों को दिक्कतें होती हैं और वह किसी कारण सरवाइव कर जाते हैं तो उन्हें बिर्थी फिकसिया हो जाता है। ऐसे बच्चों में मिर्गी के दौरे आते है तो वहीं कुछ बच्चों में यह अनुवांशिक पाई जाती है। परिवार में किसी सदस्य को मिर्गी के दौरे हो तो बच्चे में भी यह बीमारी स्वतः ही हो जाती है।

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स नुक़सानदायक

चिकित्सक मुकेश भारद्वाज ने बताया कि बच्चों में जो मिर्गी के दौरे पड़ने की शिकायत आ रही है उसके पीछे बच्चों का अधिक से अधिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेटस के साथ रहना भी है। आजकल बच्चे मोबाइल, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के साथ खेलते हैं जिसके कारण उनका दिमाग तो तेज होने लगता है और उनके हारमोंस भी बदलने लगते हैं लेकिन वह बच्चे फिजिकल ही मजबूत नहीं हो पाते। क्योंकि वह खेलकूद से दूर हो जाते हैं, बच्चों में मिर्गी का यह भी एक मुख्य कारण बन रहा है।

भ्रांतियों से बचने की जरूरत

मुकेश भारद्वाज का कहना है कि मिर्गी के प्रति जागरूकता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है। मिर्गी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके। बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है। मिर्गी को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण उपचार नहीं मिल पाता। भ्रांतियों की वजह से मिर्गी का मरीज मौत के शिकार हो जाते है। अगर वह इन अर्थहीन बातों पर ध्यान न दे तो वह समय पर उपचार ले सकते हैं।

क्या है लक्षण –

• अचानक लड़खड़ाना/फड़कन (हाथ-पांव में अनियंत्रित झटके आना)
• बेहोशी।
• हाथ या पैर में सनसनी (पिन या सुई चुभने का अहसास होना) महसूस होना
• हाथ व पैरों या चेहरे की मांसपेशियों में जकड़न

• मस्तिष्क की क्षति जैसे कि जन्मपूर्व एवं प्रसवकालीन चोट
• जन्मजात असामान्यता
• मस्तिष्क में संक्रमण
• स्ट्रोक एवं ब्रेन ट्यूमर
• सिर में चोट/दुर्घटना
• बचपन के दौरान लंबे समय तक तेज़ बुखार से पीड़ित होना

मिर्गी के कारण:

इन बातों पर दें विशेष रूप से ध्यान:

• घबराएँ नहीं
• पीड़ित व्यक्ति को दौरे के दौरान नियंत्रित करने की कोशिश न करें
• पीड़ित व्यक्ति के आसपास से तेज़ वस्तुओं या अन्य हानिकारक पदार्थों को दूर रखें
• यदि पीड़ित व्यक्ति ने गर्दन कसकर रखने वाले कपड़े पहन रखें है, तो उन कपड़ों को तुरंत ढीला करें
• पीड़ित व्यक्ति को एक ओर मोड़कर लिटाएं, ताकि पीड़ित व्यक्ति के मुंह से निकलने वाला किसी भी तरह का तरल

पदार्थ सुरक्षित रूप से बाहर आ सकें

• पीड़ित व्यक्ति के सिर के नीचे कुछ आरामदायक वस्तुएं रखें
• पीड़ित व्यक्ति की जीभ बाहर निगलने के डर से उसके मुंह में कुछ न डालें
• जब तक चिकित्सा सहायता प्राप्त न हों, तब तक पीड़ित व्यक्ति के साथ रहें
• पीड़ित व्यक्ति को आराम करने या सोने दें

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