आगरा। प्रवासी मजदूर जो अपनी आंखों में ना जाने कितने सुनहरे सपने लेकर दूसरे राज्यों को जाते हैं। वहां जाकर बिना रुके, थके उस शहर व राज्य को विकसित बनाये जाने में अपना पूरा श्रम का योगदान देते हैं लेकिन विडंबना यह है कि आज यह मजदूर अपने आप को उस शहर व राज्य में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। वहां की सरकार के साथ-साथ शासन- प्रशासन किसी तरह की सुविधा उपलब्ध कराने में निष्क्रिय रहा है। आज तो हालत यह है कि प्रवासी मजदूर भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष श्रमिक रेल सेवा व राज्यों के द्वारा ही जा रही बस सेवा के बावजूद पैदल चलने पर मजबूर हैं। आए दिन खबर मिल रही है कि फलां राज्य में प्रवासी मजदूर हादसे का शिकार, सड़क चलती हुई महिला ने दिया बच्चे को जन्म। क्या इनका कसूर सिर्फ इतना है कि प्रवासी मजदूर है।
उत्तर प्रदेश के राज्य सहित कई राज्य सरकारी श्रम कानून (कुछ कानूनों को छोड़कर) 1000 दिन के लिए रद्द किए गए। अब कार्य के घंटे 8 से 12 कर दिए गए हैं। इसे लेकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने सवाल उठाया है कि कार्य श्रम विभाग द्वारा दी जा रही ₹1000 की सहायता उन श्रमिकों को क्यों नहीं दी जा रही जिनका नवीनीकरण किन्ही कारणों से नहीं हो सका। क्या वे पात्र श्रमिक नहीं है। तुलाराम शर्मा ने मांग की है कि उन श्रमिकों को भी इन योजनाओं में शामिल किया जाए तथा केंद्र व राज्य की सभी योजनाओं पात्र श्रमिकों (Covid-19) के प्रति जागरूक करने के लिए श्रम संगठनों व सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए। इसमें पात्र मजदूरों को योजनाओं का लाभ मिल सके।
संगठन के माध्यम से उन्होंने सरकार से मांग की है कि ₹5000 की राशि सभी मजदूरों के खाते में भेजी जाए। मंदी का सार्वजनिक असर इस वर्ग पर सबसे ज्यादा हुआ है, साथ ही बीओसीबोर्ड डब्लू के तहत सभी मजदूरों की नवीनीकरण की प्रक्रिया को भी आरंभ किया जाए।