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जीवन की संवेदनाओं की बनावट है वन कन्या

by pawan sharma
  • ताराचंद मिश्र की काव्य संग्रह पुस्तक वन कन्या का विमोचन होटल ऑरेन्ज में हुआ, वरिष्ठ कवियों ने सराहा

आगरा। वयोवृद्ध जीवन की संवेदनाओं की ऐसी बनावट है वन कन्या जो वर्तमान समय के असंवेदनशील परिवेश की सफलताओं के एक पड़ाव पर पहुंचकर जीवन के सार्थक तत्व की तलाश में है। यादों से शुरु हुई इस संग्रह की कविताएं जीवन के विचित्र चित्रों के सहारे जीवन के सहज स्वीकार को पाठक के सामने रखती हैं। ताराचन्द्र मिश्र की कविता संग्रह वन कन्या के बारे में अतिथियों ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि वन कन्या में समाज की सरलता और गरल शून्य होने का बोध समाज को किसी भी प्रकार के लांक्षन से मुक्त कर निश्चल मन का उदाहरण देता है।

ताराचंद मिश्र द्वारा रचित वन कन्या काव्य संग्रह का विमोचन प्रतापपुरा स्थित होटल ऑरेन्ज में मुख्य अतिथि उप्र हिन्दी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. सोम ठाकुर, नागरी प्रचारिणी सभा के सभापति डॉ. खुशी राम शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मधु भारद्वाज, आचार्य भूपाल सिंह, आचार्य चंद्रशेखर शर्मा ने किया। ताराचंद मिश्र को शुभकामनाएं दीं और काव्य पाठ भी किया। कहा कि वन कन्या में किसी भी प्रकार की राजनीतिक लांक्षन और आकांक्षा नहीं है। इन कवितों ने नित्य प्रति के छोटे-छोटे अनुभव एक बड़ा कैनवास बनाते हैं। हिन्दी क्षेत्र के सामान्य सांस्कृतिक सरोकार इन कवितों में द्खाई देते हैं। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। नूतन ग्रवाल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संचालन नूतन अग्रवाल ने किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से उपेन्द्र सिंह, राहुल कुमार मिश्रा सुशील यादल, मंजुल गर्ग, नीरज तिवारी संजय अग्रवाल, हर्ष शर्मा, रवि गुप्ता, नवीन खंडेलवाल, हेमन्त राय आदि उपस्थित थे।

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