सुप्रीम कोर्ट ने कृषि बिलों के लागू होने पर मंगलवार को रोक लगा दी है और इसके साथ ही किसानों से बातचीत के लिए 4 मेंबर्स की कमेटी भी बनाई गई है। लेकिन किसानों ने स्पष्ट कह दिया है कि यह कमेटी सरकार की पक्षधर है और इस कमेटी के सदस्य कृषि कानूनों की वकालत करते रहे हैं। इसलिए वे कमेटी के सामने बातचीत के लिए नहीं जाएंगे। फिलहाल किसान नेताओं का कहना है कि कृषि कानून रद्द होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
अब किसान संगठनों ने 26 जनवरी के आंदोलन को भी क्लियर कर दिया है किसानों का कहना है कि गणतंत्र दिवस पर हम शांतिपूर्ण ढंग से रैली निकालेंगे साथ ही यह भी कहा कि हिंसा होने जैसी अफवाह फैलाई जा रही है यहां तक कि कोर्ट को भी इस मामले में गुमराह किया गया लेकिन हम यह बात साफ कर देना चाहते हैं कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से होगा।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के बाद किसानों ने चार मुद्दों पर एतराज जताया है वे चार मुद्दे क्या हैं आइए आपको बताते हैं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसानों के 4 ऐतराज
1. कानूनों के लागू होने पर रोक अंतरिम राहत है, पर ये समाधान नहीं है। किसान संगठन इस उपाय की मांग नहीं कर रहे थे, क्योंकि कानूनों को तो कभी भी लागू किया जा सकता है।
2. यह साफ है कि कई राजनैतिक ताकतों ने कमेटी के गठन को लेकर कोर्ट को गुमराह किया है। कमेटी में शामिल लोग वो हैं, जो इन कानूनों को समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं तो फिर यह कमेटी किसानों के लिए कैसे हितकारी होगी।
3. ये कृषि कानून कार्पोरेट्स को खेती और मंडियों पर कंट्रोल करने का रास्ता बनाएंगे। इन कानूनों से किसानों पर कर्ज बढ़ेगा, उपज के दाम कम होंगे, किसानों का घाटा बढ़ेगा, सरकार द्वारा खरीदी कम होगी, खाद्यान्न के दाम बढ़ेंगे, किसानों की खुदकुशी और भूख से मौतें बढ़ेंगी। कर्ज के कारण किसानों को अपनी जमीनों से बेदखल होना पड़ेगा। किसान का आरोप है कि सरकार ने लोगों और अदालत, दोनों से इन कानूनों के सख्त पहलुओं को छिपाया है।
4. किसान संगठन सरकार से बातचीत करना चाहते हैं, वो सुप्रीम कोर्ट से बातचीत नहीं करना चाहते हैं। किसान सुप्रीम कोर्ट में खुद को रिप्रेजेंट नहीं कर सकते हैं।
करीब 48 दिन से चल रही है इस आंदोलन में हाल में ही 57वीं मौत हुई है। बता दें एक किसान ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।
फिरोजपुर के बाबा नसीब सिंह मान ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी की है 20 दिसंबर को व प्रदर्शन में शामिल हुए थे तभी कहा था कि अगर किसानों के मुद्दे का सलूशन नहीं निकला तो वे जान दे देंगे। एक के बाद एक मीटिंग और कोर्ट की सुनवाई और फैसले के बाद हताश किसान बाबा नसीब सिंह मान ने खुद की जीवन लीला समाप्त कर दी।