आगरा। शासन स्तर से BSA और BEO के ख़िलाफ़ हुई कार्यवाही से राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पदाधिकारी काफी उत्शाहीत नजर आ रहे है। महासंघ के पदाधिकारियों ने शासन की इस कार्यवाही की सराहना की है। उनका कहना है कि संगठन को भ्रष्टाचार की मुहिम में पहली सफलता हाथ लगी है। शिक्षा विभाग के इन दोनों अधिकारियों के कारण विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर था और शिक्षकों का शोषण हो रहा था। इसकी शिकायत संगठन ने शासन स्तर पर की थी जिसे गंभीरता से लिया गया और भ्रष्टाचार में लिप्त दोनो अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया। संगठन के पदाधिकारियों ने अपने यह विचार बुधवार को शहीद स्मारक में हुई बैठक के दौरान दिए। इस बैठक के दौरान राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने शिक्षकों की समस्या, भ्रष्टाचार संगठन की मजबूती एवं अन्य शैक्षिक हित के कार्यों के लिये रणनीति एवं भविष्य की कार्य योजना को लेकर विस्तृत चर्चा की और उस पर विचार विमर्श किया गया।
इस बैठक के दौरान राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष
मुकेश डागुर का कहना था कि जिले में शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलरेंस का फार्मूला अपनाया जायेगा जिसके तहत विभाग के किसी भी भ्रष्टाचारी अधिकारी और कर्मचारी को बक्शा नहीं जायेगा। उनका कहना था कि इस कार्यवाही के साथ ही भ्रष्टाचार के पेड़ को काटने की शुरुआत हो गयी है। संगठन ऐसे ही जुटा रहा तो आने वाले समय में विभाग में फैली उस भ्रष्टाचार के पेड़ की सभी जडों को भी उखाड़ फेंकने का काम संगठन करेगा जो शिक्षकों का शोषण कर रहा है।
जिलाध्यक्ष ने कहा कि विभाग में अभी भी एक दर्जन से अधिक भ्रष्टाचार में लिप्त शिक्षा अधिकारी और बाबु है जिनकी सूची तैयार कर अभियान चलाया जाएगा। संगठन के जिला महामंत्री अभय यादव ने कहा कि संगठन हर उस एक शिक्षक के साथ सदैव खड़ा है जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से कर रहा है।
बैठक समापन के दौरान संगठन की ओर से संगठन के सदस्य श्रीनिवास (जिनकी शिकायत के आधार पर BSA, पूर्व BSA कार्यवाही हुई) और भ्रष्टाचार सफ़ाई अभियान में सक्रिय योगदान देने वाले सभी साथियों का स्वागत और सम्मान किया गया।