आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में शीघ्र ही डॉक्टर आफ फार्मेसी (डी फार्मा) का पाठयक्रम आरंभ किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां आरंभ हो गई है। इस पाठयक्रम में 30 सीट होगी। मेडिकल काउंसलिंग ने इसकी जांच पूरी कर ली है। यह कोर्स प्रदेश में पहली बार डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में आरंभ कराया जा रहा है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 95 वें स्थापना दिवस पर उप.मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने इस पाठ्यक्रम के आरंभ करने पर जोर दिया था। आविवि प्रशासन ने उच्च शिक्षा मंत्री के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए पाठ्यक्रम शुरू करने पर मंथन आरंभ कर दिया है। कोर्स का उद्देश्य छात्रों को कोरोना जैसी महामारी में समाज का सहयोग करने के लिए तैयार कर सकें। विश्वविद्यालय के स्कूल आफ लाइफ साइंस में बायोटेक्नोलाजी व बायोकेमेस्ट्री में एमएससी पाठ्यक्रम 1998 से संचालित है। दो साल के इस पाठ्यक्रम में वायरस की स्टडी, किस पौधे में एंटी बाडी हैं, उसे कैसे निकाला जाए, क्या कंपाउंड हैं। बैक्टीरिया का कल्चर आदि पढ़ाया जाता है। यहां आरटीपीसीआर भी हो सकता है, लेकिन रसायन महंगे होने की वजह से यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है।
संस्थान में एमएससी माइक्रोबायोलाजी पाठ्यक्रम भी पढ़ाया जाता है। तीनों पाठ्यक्रमों में 25-25 सीटें हैं। छलेसर परिसर में फॉर्मेसी विभाग हैं, जहां 2002 से बीफार्मा पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। पहले फॉर्मेसी विभाग खंदारी परिसर में था। बीफार्मा में 60 सीटें हैं, जिन्हें 100 करने की अनुमति मांगी गई है। इसी साल डीफार्मा शुरू किया गया है। इस पाठ्यक्रम में भी 60 सीटें हैं। फार्मेसी विभाग के अध्यक्ष प्रोॅ. ब्रजेश तिवारी ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल का निरीक्षण हो चुका है। इस पाठ्यक्रम में 30 सीटें होंगी। जल्द ही अनुमति मिल जाएगी। अनुमति मिलते ही नए सत्र से यह पाठ्यक्रम शुरू कर दिया जाएगा।