दिल्ली सरकार ने स्कूली शिक्षा के लिए अलग बोर्ड बनाने का निर्णय किया है। शनिवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात को रखा गया कि दिल्ली का अपना बोर्ड होगा। जिस पर कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस दौरान राजधानी के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ से केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि भविष्य में पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा। सीएम केजरीवाल ने कहा कि राजधानी में करीब 1000 सरकारी स्कूल और 1700 प्राइवेट स्कूल हैं। सभी सरकारी और अधिकतर प्राइवेट स्कूल सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन) से मान्यता प्राप्त हैं इसलिए वे अगले सत्र (2021-22) से इस नए बोर्ड में इन में से 20-25 स्कूलों को शामिल करेंगे।
सीएम केजरीवाल ने इस दौरान कहा कि करीब 6 साल से दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर कई क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं।इसकी वजह यह है कि हर साल हमने शिक्षा के लिए 25 फ़ीसदी बजट अलग रखना शुरू किया जिससे शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो सकी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो भी स्कूल इस नए बोर्ड के लिए चयनित किए जाएंगे उनकी सीबीएसई की मान्यता खत्म कर दी जाएगी और उन्हें दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से मान्यता दी जाएगी। हालांकि इस दौरान उन्होंने कहा कि जो स्कूल चयनित किए जाएंगे, उनका चयन प्रधानाध्यापक टीचर्स और पेरेंट्स से चर्चा करने के बाद ही किया जाएगा। इसके साथ ही सीएम केजरीवाल ने यह उम्मीद जताई कि कुछ ही वर्षों में दिल्ली के सभी स्कूल इस बोर्ड के अंतर्गत आ जाएंगे।
केजरीवाल ने आगे बताया कि ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ का उद्देश्य विद्यार्थियों को नेक इंसान, देशभक्त और रोजगार के लिए तैयार करना है इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि रटने से नहीं बल्कि प्रयोगात्मक तौर पर सीखने पर जोर देना होगा।