आगरा। बाल संरक्षण गृहों में रहने वाले बच्चे अब शिक्षा से वंचित हो गए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए शिक्षकों को वहां से हटा लिया गया है। बीएसए ने किशोर संप्रेक्षण गृह से तीनों शिक्षक कार्यमुक्त कर दिए गए हैं, अब बाल गृह से भी शिक्षक को हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। संरक्षण गृहों से शिक्षकों को न हटाने के लिए डीपीओ, बाल गृह अधीक्षक और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बीएसए को पत्र भेज चुके हैं लेकिन बीएसए का दिल नहीं पसीज रहा है। नियमों को ताक पर रखकर हाईकोर्ट के आदेशों को भी ठेंगा दिखा दिया है। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने इस संबंध में डीएम, बीएसए, बाल आयोग और शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखा है।
प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास अनुभाग द्वारा महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित गृहों के संवासियों को स्वास्थ्य एवं शिक्षा की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संबंधित विभागों से समन्वयक स्थापित कर दिशा निर्देश जारी किए गए थे। जिसमें महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं में बेसिक शिक्षा विभाग दो-दो शिक्षक उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए गए थे जिसके अनुपालन में आगरा के राजकीय किशोर संप्रेक्षण गृह तथा राजकीय बाल गृह (शिशु) में बेसिक शिक्षा विभाग से शिक्षक उपलब्ध कराए गए। इसके बाद नरेश पारस के प्रयासों से जिला कारागार में भी बेसिक शिक्षा विभाग से शिक्षक उपलब्ध कराया गया जो जेल में मांओं के साथ निरूद्ध बच्चों को शिक्षित कर रहा है। राजकीय किशोर संप्रेक्षण गृह में मनोज कुमार, रघुराज सिंह, बृजेश कुमारी जबकि राजकीय बाल गृह (शिशु) में रजनीश कुमार एवं जिला कारागार में सुरेन्द्र सिंह बच्चों को नियमित अन्ततःवासियों को प्राथमिक स्तर पर शिक्षा प्रदान करा रहे थे। लगभग दो माह पूर्व राजकीय किशोर संप्रेक्षण गृह से तीनों शिक्षकों हटा दिया गया। बच्चों की पढ़ाई ठप्प हो गई। इससे किशोर अपने मौलिक अधिकार तथा शिक्षा का अधिकार कानून से वंचित हो गए।
नरेश पारस का कहना है कि यह उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना है। वहीं राजकीय बाल गृह (शिशु) में पढ़ा रहे शिक्षक रजनीश कुमार को भी बाल गृह से कार्यमुक्त करने के आदेश बीएसए ने जारी कर वेतन रोक दिया गया। बच्चों का शिक्षण कार्य नियमित कराने के लिए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाल गृह के अधीक्षक एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखे लेकिन बीएसए ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब बाल गृह के बच्चों की भी पढ़ाई बंद हो सकती है। चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने इस संबंध में डीएम, बीएसए, बाल आयोग तथा शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखकर बाल संरक्षण गृहों की शिक्षा व्यवस्था बहाल कराने की मांग की है।