आगरा। उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाना चाहती है लेकिन कुछ विभाग के अधिकारी योगी सरकार को पलीता लगा रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं होम्योपैथिक विभाग की। जहां पर खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान। यह कहावत कहीं ना कहीं इस बात को सच बयां कर रही है। पूरे उत्तर प्रदेश में होम्योपैथिक के 9 कॉलेज है। जिसकी भर्ती 2017 में संविदा पर एक पैनल के जरिए की गई थी। उस पैनल में विभाग के निदेशक और एक सदस्य टीम गठित की गई थी जिसमें नौकरी के नाम पर करोड़ों रुपयों की हेराफेरी हुई है।
आजकल सोशल मीडिया पर एक ऑडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जो कि होम्योपैथिक के तत्कालीन निदेशक आनंद चतुर्वेदी और एक डॉक्टर के बीच में बात हो रही है। उसमें साफ तौर पर कहा जा रहा है कि इस भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ है। निदेशक से लेकर सचिव तक इस ऑडियो की बातचीत में आरोपित दिखाई दे रहे हैं। पूर्व में होम्योपैथिक विभाग के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई करते हुए पद से हटाकर जांच शुरू करा दी थी तो वहीं तत्कालीन निदेशक आनंद चतुर्वेदी जो कि उस समय बोर्ड में सदस्य थे, उनको ही सरकार ने निदेशक बना दिया।
शिकायतकर्ता डॉ गौरव ने इस मामले में सवाल करते हुए कहा है कि आखिर इस तरीके से भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश कैसे बनेगा। अब यह सवाल बना हुआ है। इस ऑडियो में खुद तत्कालीन निदेशक आनंद चतुर्वेदी ने इस ऑडियो में इस बात को स्वीकारा है कि इस भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ है। लेकिन ऑडियो इस बात की पुष्टि नहीं कर रही है कि यह आनंद चतुर्वेदी की आवाज है। आरोप कई लोगों के द्वारा लगाए गए हैं और कई शिकायतें भी की गई है। शासन को यह ऑडियो भ्रष्टाचार मुक्त भारत निर्माण महासमिति उत्तर प्रदेश संगठन द्वारा 5 नवंबर 2019 को भेजी गई है। जिसमे डॉक्टर आनंद चतुर्वेदी और डॉ आर के मिश्रा के बीच बातें हो रही है कि किस तरह से सीधे अहम पद पर तैनात कर दिया है। कई बार शिकायत करने के बाद भी अभी तक ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
आखिर ऐसे लोगों के खिलाफ भारत सरकार कब कार्यवाही करेगी या जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति करेगी। ये तो वक्त ही बताएगा। वहीं आरोप है कि एक दूसरे मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी रमेश चंद ने अपने पुत्र डॉ मनोज यादव को जो पंचायती राज विभाग जिला परिषद में केवल छह माह से तदर्थ होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात था, उसकी सेवा को स्थानांतरण कर तैनाती बिना लोक सेवा आयोग के ही होम्योपैथी विभाग में प्रवक्ता के पद पर कर दी। फिर प्रवक्ता से रीडर और प्रोफेसर से एडिशनल डायरेक्टर पद पर करा दिया जो विभाग और प्रदेश सरकार के सर्वोच्च पदों में से एक है।