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सजगता के साथ एआई तकनीक समाज की, युवाओं की, किसानों की समस्याएं सुलझाये – सौम्या श्रीवास्तव

by pawan sharma

आजादी के सिपाही, माक्र्सवादी विचारक, भारतीय संस्कृति के हामी, पीड़ित, शोषित, मजदूर, किसानो के हिमायती, सांप्रदायिक ताकतो के घोर विरोधी, हर दिल अजीज का. महादेव नारायण टंडन की 21 वीं पुण्यतिथि पर माथुर वैश्य सभागार, पचकुइयां पर परम्परागत रूप से आयोजित व्याख्यान क्रम मे इस बार ‘कृतिम बुद्धिमता’ (ARTIFICIAL INTELLIGENCE) के सामाजिक एवम मानवीय पहलू विषयक व्याख्यान की शुरुआत का. टंडन के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प्पांजलि कर हुई.

उपस्थित जन के स्वागत सहित विषय प्रवर्तन् करते हुए का. डॉ. जे. एन. टंडन ने कहा कि कृतिम बुद्धिमता मानव बुद्धि की तकनीकी संतान है, जो सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक पहलुओं के साथ सभी में स्वभाविक चिंता पैदा कर रही है. चमत्कारिक रूप से यह पूरी क्षमता के साथ तभी विकसित हो सकती है जब ‘एआई’ को अर्थव्यवस्था की तर्क संगत योजना के अधीन नियंत्रित करें।

मुख्य वक्ता किंग्स कॉलेज लंदन से पधारी सौम्या श्रीवास्तव ने बताया कि ‘ए.आई.’ प्रौद्योगिकियाँ तेजी से विकसित हो रही हैं और समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल रही हैं. जबसे ए.आई. ने हमारे जीवन में प्रवेश किया है, इसने लोगों के बीच डर पैदा कर दिया है – क्या ए.आई. सभी नौकरियां खा जायेगा? क्या यह शोषण के लिए एक उपकरण बन जाएगा? यह लोगों और समाज को कैसे प्रभावित करेगा? क्या ए.आई. दुनिया को नियंत्रित कर लेगा? इन सभी सवालों से इस प्रौद्योगिकी के बहिष्कार का भाव उत्पन्न होता है।

हमें यह स्वीकारना होगा की हम ए.आई. के विकास को रोक नहीं सकते, इसके पास समाज को सकारात्मक तरीके से लाभ पहुंचाने की क्षमता है – स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा से लेकर परिवहन और कृषि तक यह जीवन को तेजी से और बेहतर बना सकती हैं, लेकिन हमें इसके सामाजिक प्रभाव, मानव भावनाओं, और जीवन मूल्यों के बारे में सजग रहना होगा। बेहतर होगा की हम साथ मिलकर इस प्रौद्योगिकी के बारे में अधिक से अधिक जानें और इसकी दिशा को इस तरह निर्देशित करें की यह हमारे अपने समाज की युवाओं की, किसानों की समस्याओं को सुलझाए।

टूरिसम गिल्ड के अध्यक्ष व पयर्टन व्यवसायी राजीव सक्सेना ने की। उन्होंने बताया कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का मुख्य लक्ष्य मानव मस्तिष्क और क्षमताओं की नकल करना है ताकि कम्प्यूटर ऐसे कार्य कर सकें जिनके लिए आमतौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है जैसे भाषण को समझना, छवियों को पहचानना और निर्णय लेना। एक अनुमान के अनुसार पर्यटन में एआई का योगदान 2026 तक लगभग 1.2 बिलियन डॉलर का ही जाएगा जो क्रमश 10ः की दर से बढ़ रहा है. विशेषकर बेहतर दक्षता, उन्नत ग्राहक अनुभव, त्वरित ग्राहक सेवा, सटीक पूर्वानुमान, मूल्यों का समायोजन और धोखाधड़ी से रोकथाम करने के लिये इसका उपयोग .इसमें ट्रिप एडवाइजर तथा हिल्टन होटल मुख्यतः अग्रणी है। भारत में भी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का उपयोग आतिथ्य व्यापार में दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. अतिथि वक्ता सौम्या श्रीवास्तव को डॉ. साहिल अरोरा, डॉ. रईसा अरोरा द्वारा स्मृति भेट दी गई. आभार का. पूरन सिंह ने दिया.

दादा सोम ठाकुर, पूर्व मन्त्री उदयभान सिंह, डॉ. रमेश शर्मा, रमाकांत सारस्वत, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. पंकज नागइच, अनिल शर्मा, अरुण सोलंकी, सोम साहू, डॉ. अरविंद भारती, राम नाथ, रमेश पंडित, राजीव सिंघल, अभिनय प्रसाद, डॉ.रजनीश गुप्ता, डॉ. मधुरिमा शर्मा, डॉ. सुधीर धाकरे, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. मुनिशर गुप्ता, डॉ.डी. वी. शर्मा, डॉ. अशोक शिरोमणि आदि बड़ी संख्या मे विशिष्ट जन उपस्थित रहे।

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