म्यांमार में 1 फरवरी को तख्तापलट होने के बाद लगातार नागरिकों को गोलियों का निशाना बनाया जा रहा है। रविवार को मध्य म्यांमार में सेना के साथ संघर्ष के दौरान 25 जून्टा विरोधी लड़ाके और नागरिक मारे गए। ग्रामीणों ने रविवार को जानकारी दी कि स्थानीय लोग सेना द्वारा किए जा रहे शासन के खिलाफ बहुत जल्द हथियार उठा लेते हैं जिसके चलते क्षेत्र में हिंसा बढ़ती जा रही है।
एक स्थानीय निगरानी समूह के अनुसार, एक फरवरी के तख्तापलट के बाद से म्यांमार में हलचल मची हुई है, दरअसल सेना द्वारा आंग सान सू की सरकार को हटा दिया गया था और म्यांमार के शासन को अपने कब्जे में कर लिया गया था, वहीं इस दौरान हुए खूनी संघर्ष में करीब 890 लोगों की मौत हो गई थी।राज्य द्वारा संचालित मीडिया ने झड़प का एक विवरण पेश किया, जिसमें मीडिया ने कहा कि सशस्त्र सेना उस क्षेत्र में गश्त कर रही थी जब उन पर घात लगाकर हमला किया गया था।
बता दें राज्य प्रशासन परिषद का मुकाबला करने के लिए स्थानीय नागरिकों ने रक्षा बलों का गठन किया था। जबकि यहां जुंटा प्रमुख पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सेेना किसी भी कीमत पर विरोध प्रदर्शनों को बर्दाश्त नहीं करेगी। लेकिन बावजूद इसके लगातार हो रहे विरोध के बाद हिंसा का सिलसिला जारी है।
दरअसल शुक्रवार को डेपायिन टाउनशिप में लड़ाई छिड़ गई, जिसके बाद रविवार को एक बार फिर हिंसा का मंज़र नज़र आया। इस दौरान एक ग्रामीण ने कहा, “हमने 26 बार गोलाबारी की आवाज सुनी,” वहीं दूसरे ग्रामीण ने कहा कि एंटी-जुंटा सेनानियों ने जवाबी कार्रवाई करने की कोशिश की, लेकिन हमले को रोक नहीं सके, सड़क पर जो भी दिखाई दिया उसे गोली मार दी गई।किसी व्यक्ति विशेष को निशाना ना बनाकर हर किसी को गोलियों का शिकार बनाया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हमले के बाद 25 शव बरामद हुए हैं।