Agra. दो साल से जिस शहीद के परिजनों की सुध सरकार व स्थानीय प्रशासन ने नहीं ली, उस प्रशासन की नींद शहीद की पत्नी ममता और उसके परिवार द्वारा दिये गए धरने ने तोड़ दी है। तीन दिनों तक चले धरने के बाद सरकार की किरकिरी हुई और फिर मांगे पूरी होने का सिलसिला शुरू हुआ। आर्थिक रूप से मदद मिलने के बाद अब कहरई प्राथमिक विद्यालय का नाम अब शहीद कौशल रावत के नाम से जाना जाएगा। प्रशासन ने विद्यालय का नाम बदले जाने से संबंधित सारी कार्रवाई को पूरा कर दिया है। अब यह विद्यालय पुलवामा शहीद कौशल रावत के नाम से जाना जाएगा। मांग पूरी होने पर शहीद के बेटा बेटी काफी उत्साहित हैं तो वहीं उनकी पत्नी खुशी से फूले नहीं समा रही हैं।
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में एक आतंकी हमले में कहरई निवासी कौशल रावत शहीद हो गए थे। उनकी शहादत के दौरान सरकार और जनप्रतिनिधियों ने कई वायदे और घोषणा की लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद न ही वह वायदे पूरे हुए और न ही घोषणाओं को अमलीजामा पहनाया गया। इससे नाराज होकर शहीद की पत्नी ममता रावत ने परिवार के साथ धरना दिया। उस दौरान सूबे के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा भी आगरा के दौरे पर थे लेकिन वह भी शहीद के परिवार से मिलने नहीं पहुंचे जिसके बाद विपक्ष ने हमला बोला और उनकी किरकिरी होने लगी। धरने के तीसरे दिन एडीएम सिटी परिवार से मिलने पहुंचे। शिक्षा विभाग की ओर से जो उनकी मदद के लिए लगभग ₹65 लाख एकत्रित किया गया था उसका चेक भी सौंपा और कहरई के सरकारी प्राथमिक विद्यालय का नाम शहीद कौशल रावत के नाम पर किए जाने का भी आश्वासन दिया था।
स्थानीय प्रशासन ने देर से ही सही लेकिन शहीद के परिवार की मांगों को पूरा करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। प्राथमिक विद्यालय का नाम शहीद कौशल रावत के नाम पर किए जाने के बाद गांव के मुख्य द्वार बनाए जाने और उसका नाम भी शहीद कौशल रावत के नाम पर रखने का कार्यवाही शुरू हो गई है।