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क्षय रोग विभाग आगरा में खोलेगा डीआरटीबी सेंटर, त्वरित जांच के लिए डाक विभाग से करार

by admin

आगरा। देश से वर्ष 2025 तक क्षय रोग (टीबी) को पूरी तरह से खात्मे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को तय समय सीमा से पहले पूरा करने के लिए प्रदेश भर में चलाये जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं को धार देने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। इसी क्रम में टीबी मरीजों के सैम्पल की जल्द से जल्द बेहतर जाँच कराने के लिए जिला क्षय रोग विभाग और भारतीय डाक विभाग के साथ करार हो चुका है। इसके तहत अब जनपद के सभी टीबी मरीजों का सैम्पल लैब तक पहुँचाने का काम डाकिये कर रहे हैं। इससे पहले यह सैम्पल कोरियर से भेजे जाते थे, जिससे उसमें अधिक समय लगता था। पायलट प्रोजेक्ट के तहत आगरा समेत प्रदेश के पांच जिलों में पहले चरण में यह कार्यक्रम नौ महीने पहले चलाया गया था। उसमें सफलता मिलने के बाद विभाग अब प्रदेश के सभी 75 जिलों यह बड़ा कदम उठाया गया है।

​जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. यू बी सिंह का कहना है कि टीबी मरीजों के मामले में सबसे बडी चुनौती जल्दी से जल्दी जाँच कराने की होती है क्योंकि एक टीबी मरीज अनजाने में न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसी को देखते हुए डाक विभाग से करार किया गया था कि वह जनपद के सभी 40 अधिकृत टीबी जाँच केन्द्रों से 24 घंटे के अन्दर 4 सीबीनाट मशीन सेंटर तक सैम्पल पहुँचाने का काम किया जाता है। इसके साथ ही 4 सीबीनाट मशीन सेंटर से जनपद के दो जाँच केंद्र IRL आगरा एवं NRL जालमा में स्थित ड्रग कल्चर टेस्ट सेंटर तक 48 घंटे के अन्दर सैम्पल पहुँचाने का काम किया जाता है। इससे जहाँ समय की बचत तो होती ही है, वहीँ अनजाने में किसी को टीबी जैसी बीमारी की जद में आने से बचाया भी जा रहा है। इसके साथ ही जिला अस्पताल आगरा में भी जल्द से जल्द डिस्ट्रिक्ट डीआरटीबी सेंटर खोलने की तैयारी है। इससे MDR मरीजों को जल्द से जल्द इलाज जल्दी शुरू किया जा सकेगा। अभी तक MDR मरीजों को नोडल डीआरटीबी सेन्टर क्षय एवं वक्ष रोग विभाग SN मैडिकल में ही मरीजों को इलाज प्रदान किया जाता है।

​डॉ. मुकेश कुमार वत्स मुख्य चिकित्सा अधिकारी आगरा का कहना है कि विश्व के कुल टीबी रोगियों में करीब 27 फीसदी मरीज भारत में हैं और भारत के कुल टीबी रोगियों में से करीब 18 फीसदी उत्तर प्रदेश के हैं और प्रदेश में जनपद आगरा टॉप 5 में आता है। इस बडी चुनौती का सामना करने के लिए जनपद पूरी तरह से कमर कस चुका है। इसमें डाक विभाग के अलावा पंचायती राज, शिक्षा, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार व श्रम विभाग का भी सहयोग लिया जा रहा है । इसके अलावा मिशन हेल्थ कार्यक्रमों व अन्य कार्यक्रमों के जरिये जागरूकता पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है।

जिला ​पीपीएम समन्वयक कमल सिंह ने बताया कि कि वर्ष 2019 में जनपद में करीब 22000 हजार मरीजों को चिन्हित कर इलाज शुरू किया गया जो कि वर्ष 2018 के मुकाबले करीब 55 फीसदी अधिक है। ऐसे मरीजों की खोज के लिए समय-समय पर पूरे प्रदेश के साथ साथ जनपद में एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान चलाये गए, जिनको यह पता ही नहीं होता कि वह टीबी से ग्रसित हैं। इन अभियानों के जरिये हर बार औसतन करीब 150 से 200 टीबी रोगी खोजे गए, जिनका जल्द से जल्द इलाज शुरू किया गया। सभी टीबी मरीजों के बेहतर खानपान के लिए इलाज के दौरान प्रतिमाह 500 रूपये दिए जाने की व्यवस्था की गयी है, जिसके तहत करीब 4 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है। टीबी मरीजों के एचआईवी ग्रसित होने की अधिक सम्भावना होती है, जिसे देखते हुए वर्ष 2019 में करीब 80 फीसदी मरीजों की एचआईवी जाँच कराई गयी जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 50 फीसदी अधिक है।

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