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कवयित्री के अंतः करण का आईना है ‘मन के बादल’, रंगोत्सव संग पूजा आहूजा कालरा के काव्य संग्रह का लोकार्पण

by admin
The mirror of the poet's conscience is the 'cloud of the mind', with the Rangotsav, the poetry collection of Pooja Ahuja Kalra was inaugurated

आगरा। साहित्य साधिका समिति के तत्वावधान में रविवार शाम कमला नगर स्थित टेंप्टेशन रेस्टोरेंट में रंगोत्सव के साथ-साथ युवा कवयित्री पूजा आहूजा कालरा के द्वितीय काव्य संग्रह ‘मन के बादल’ का लोकार्पण भी किया गया। मन के बादल के संग, जब बिखरे होली के रंग। तो सखियों ने खूब भिगोये, एक दूजे के अंग।

लोकार्पित काव्य संग्रह की समीक्षा करते हुए डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि मन के बादल मूलतः कवयित्री के अंतःकरण का आईना है। कवयित्री जीवन की जटिलताओं से जूझती हुई आशा का दीपक जलाए रखती है। डॉ. अनिल उपाध्याय ने कहा कि काव्य संग्रह मन के बादल खूबसूरत बिम्ब लिए भाव प्रवण रचनाओं का रेशमी एहसास है।

अलका अग्रवाल ने लोकार्पित कृति की रचना ‘हाँ, मैं नारी हूँ’ का वाचन कर नारी अस्मिता और नारी स्वाभिमान को बखूबी रेखांकित किया। पूजा आहूजा कालरा ने ‘घुँघरुओं का शोर’ कविता पढ़कर नारी को भोग्या समझने वाली पुरुषवादी सत्ता को झकझोर दिया।

एक बानगी देखें-
“घुँघरुओं की छन-छन तो सुनी होगी तुमने!!
मगर, मगर क्या शोर सुना है.. जख्मों में लिपटा हुआ?
कैसे सुनोगे! पुरुष जो हो!
जो सिर्फ घुँघरुओं की छनक सुन सकता है
दर्द से तरबतर हुआ.. मन के भीतर का कोलाहल नहीं।”

रंगोत्सव का संचालन अलका अग्रवाल ने और लोकार्पण समारोह का संचालन डॉ. अनिल उपाध्याय ने किया। इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा सिंह, शांति नागर, रमा वर्मा ‘श्याम’, डाक्टर अशोक विज, डाक्टर त्रिमोहन तरल, यशोधरा यादव ‘यशो’, कमला सैनी, डॉ. पुनीता पांडे पचौरी, विजय तिवारी, उमा सोलंकी, साधना वैद्य, हेमलता सुमन, रीता शर्मा, शशि सिंह, राजकुमारी चौहान, सविता मिश्रा, डॉ. रेखा कक्कड़, भावना दीपक मेहरा, ललिता करमचंदानी, माया अशोक, वीना अब्राहम, नूतन ज्योति, रानू बंसल, रितु गोयल, पूनम भार्गव जाकिर प्रमुख रूप से मौजूद रहीं।

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