आगरा। भारत में हुए लॉक डाउन से तमाम प्रवासी मजदूर जो अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्यों में मेहनत मजदूरी करने के लिए जाते थे वे सभी लॉक डाउन की वजह से जहां के तहां फंसे रह गए हैं। हालांकि राज्य सरकारें लगातार इस बात का दावा कर रही हैं कि सभी प्रवासी मजदूरों को रहने की उचित व्यवस्था और खाने का इंतजाम किया जा रहा है लेकिन फिर भी तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिससे सरकार के दावों की पोल खुल रही है।
ऐसा ही एक मामला आज आगरा में देखने को मिला जिसमें करीब 11 मजदूर जो कि फरीदाबाद में रहकर पेंटिंग का काम किया करते थे, लॉक डाउन की वजह से वही फंसे रह गए थे। उन्हें उम्मीद थी कि 15 अप्रैल को लॉक डाउन खुल जाएगा लेकिन जब देश के प्रधानमंत्री ने लॉक डाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया तो वे लोग साइकिल से ही अपने घर की तरफ निकल पड़े।
दरअसल यह सभी मजदूर बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले हैं। ये सभी लोग अपनी साइकिल लेकर कल सुबह फरीदाबाद से बिहार के लिए निकल पड़े हैं। जब हमने इन लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे लिए किसी भी तरह के खाने का इंतजाम नहीं किया गया था, मकान मालिक भी रोजाना किराए के लिए दबाव डाल रहे थे, इसी वजह से जब हमें कोई इंतजाम नहीं दिखा तो अपनी साइकिल से ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं।
इन लोगों को बिहार पहुंचना है और यह लोग सभी साथ-साथ साइकिलों से बिहार के लिए निकल पड़े हैं। उनका यह भी कहना था कि रास्ते में जो भी जिले पड़े वहां के किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने इनके लिए ना तो कोई भी खाने की व्यवस्था की और ना ही रहने की।
सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों में मजदूरी के बल पर जिंदा रहते थे अब उनके पास ना तो काम है और काम ना होने की वजह से उन्हें पैसा भी नहीं मिल रहा है जिससे वह भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। देखने वाली बात यह है कि आखिर इनकी तरफ सरकार कब ध्यान देगी।