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‘देश मेरी और मैं ख़ुद देश की पहचान हूँ’, गूँजे राष्ट्रीय चेतना के स्वर, कवियों ने जगाई देशभक्ति

by admin
'The country is mine and I am the identity of the country', the voices of national consciousness echoed, poets awakened patriotism

आगरा। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की कड़ी में संस्कार भारती एवं सेंट स्टीफन कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को सौ फुटा रोड कालिंदी विहार स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज में ‘चेतना के स्वर’ कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवियों ने जहाँ देश भक्ति जागरण का कार्य किया, वहीं कृतज्ञ आगरा वासियों ने समाजसेवी दंपत्ति रामदयाल एवं कलावती वर्मा के साथ- साथ अमर शहीद मेवाराम द्वारा समाज और राष्ट्र हित में किए गए बलिदान का भावपूर्ण स्मरण किया गया।

संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य प्रमुख राज बहादुर सिंह ‘राज’ ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर प्रकाश डाला। सेंट स्टीफन शिक्षण समूह के संस्थापक श्रीचंद वर्मा ने समारोह की अध्यक्षता की। आयकर आयुक्त (अपील) एसके बाजपेई समारोह के मुख्य अतिथि रहे। राम अवतार यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संरक्षक डॉ. गंभीर सिंह सिकरवार, संयोजक केके मिश्रा और फूल चंद गुप्ता ने अतिथियों और कवियों का हार्दिक स्वागत किया। हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत हिंदी सेवी और आयकर आयुक्त एसके वाजपेई जी का अभिनंदन किया गया। डॉ. आरएस तिवारी “शिखरेश” ने कवि सम्मेलन का संचालन किया।

ये बही काव्य-धारा

वरिष्ठ कवि डॉ. त्रिमोहन तरल ने देश के प्रति अपनी भावनाओं को इस प्रकार बयाँ किया- “जान में मेरी बसा है, मैं भी इसकी जान हूँ। देश मेरी और मैं ख़ुद देश की पहचान हूँ।” वरिष्ठ कवि डॉ. आरएस तिवारी “शिखरेश” का यह संदेश सबके दिल को छू गया- “आओ ! आजादी का अमृत पर्व मनाएँ। संकल्प शांति का हरदम ही दोहराएँ। संसद ,सविधान और तिरंगे की हम शान बढ़ाएँ..”

वरिष्ठ कवयित्री डॉ. यशोधरा यादव ‘यशो’ ने देशवासियों का आह्वान किया- ” एक शब्द एक राह, एक ले मशाल। राष्ट्रमाता बोलती है जागो मेरे लाल..।” गया प्रसाद मौर्य ‘रजत’ ने राष्ट्रीय अस्मिता के प्रतीक भगवान राम को समर्पित छंद पढ़कर भाव- विभोर कर दिया- ” मात जानकी के संग लखन बिराजें बीर, हनुमत वीर तेरे सदा रखबारे हैं। दूर से ही देख रहे सरयू के तीर आज, सकल नदी का नीर चरण पखारे हैं। दीनन के नाथ आप दीनबन्धु दीनानाथ, पत्थर अहिल्या तारि, शबरी को तारे हैं। भारत के प्राण तत्व सभ्यता के मूलरूप, हमको भी तारो नाथ, हम भी तुम्हारे हैं..।”

श्रुति सिन्हा ने राष्ट्र निर्माण में स्त्रियों की भूमिका को रेखांकित किया- “स्त्रियाँ आश्वस्त मन की कविताएँ हैं। स्त्रियाँ राष्ट्र-निर्माण की संवाहिकाएँ हैं..।”

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