आगरा। इमाम हुसैन की याद और उनकी शहादत में मुस्लिम समाज की ओर से ताजिये निकले गए। यह ताजिये करबला में सुपुर्द ए खाक किये गए। ताजिये निकलने की शुरुआत पायचोकी से निकलने वालेे फूलों के ताजिये के साथ हुई। भारी संख्या में ताजिये के जुलूस में मुस्लिम समाज के लोगों ने शिरकत की। या हुसैन के नारे शहर भर में गूँजते हुए नजर आए। ताजियों को लेकर जुलूस में निकल रहे तजियेदारों को वरिष्ठ नेता अनवार सिद्की ने साफा बांधकर जोरदार स्वागत भी किया।
मुस्लिम समाज के नेता अनवार सिद्की ने बताया कि मुहर्रम को शहादत के महीने के रूप में मनाया जाता है। इसी माह में इमाम हुसैन ने धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी थी। इन दिनों इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातम और शोक मनाया जाता है। इस्लाम में पवित्र माने जाने वाले महीने रमजान की तरह ही इसमें भी रोजे रखे जाते हैं लेकिन ये रोजे अनिवार्य नहीं होते हैं। मुहर्रम के दौरान जंग में दी गई शहादत को याद किया जाता है और ताजिये बनाकर इमाम हुसैन के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। इन ताजियों को इमाम हुसैन की शहादत के रूप में करबला में सुपुर्द के खाक किया जाता है।
ताजिये के जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के खासा इंतजाम कर रखे थे। जगह, जगह पुलिसबल तैनात किया गया था जिससे कोई विवाद न हो। देरशाम तक ताजियों का जुलूस चलता रहा और समाज के लोग हुसैन को याद करते रहे।