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भारत-पाक युद्ध के 50वीं वर्षगांठ पर शहीद स्मारक पर हुआ कार्यक्रम, शहीदों को याद कर आंखें हुईं नम

by admin
Program on Martyrs Memorial on 50th anniversary of Indo-Pak war, eyes moistened by remembering martyrs

Agra. शनिवार को भारतीय सेना की ओर से आजादी की 75वीं वर्षगांठ और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्व की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। सैन्य क्षेत्र में स्थित शहीद स्मारक पर आयोजित हुए इस कार्यक्रम में सेना के अधिकारियों और शहीदों के परिजनों ने भाग लिया। सेना अधिकारियों के साथ शहीदों के परिजनों ने शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनकी शहादत को याद किया।

वीर नारियों का किया गया सम्मान

सेना की ओर से आयोजित हुए इस समारोह के दौरान 1971 भारत पाकिस्तान की युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी और उनकी वीर नारियों को सम्मानित किया गया। भारत पाकिस्तान युद्ध में आगरा से शिवराज सिंह राजपूत और हवलदार नेत्रपाल सिंह ने हिस्सा लिया था। आज इन दोनों के परिजनों को सेना की ओर से सम्मान पत्र भेंट किया गया। यह स्मृति पत्र एनसीसी महानिदेशक की ओर से दिया गया था जो छावनी आगरा कैंट द्वारा भेंट किया गया।

सभी की आंखें हुई नम

1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध को भले ही 50 वर्ष पूरे हो गए हो लेकिन स्वर्णिम दिवस के अवसर पर सेना के अधिकारियों ने जब इस युद्ध को लेकर अपने विचार रखें और अपने अनुभव साझा किए तो वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गई। क्योंकि इस युद्ध को भले ही पाकिस्तान को पटखनी देकर भारत ने जीत लिया हो लेकिन युद्ध के दौरान भारत ने अपने कई वीर सपूत भी खोए। भारत पाकिस्तान के युद्ध में खोए अपनों वीरों को याद करके सभी की आंखें नम हो गई।

शिवराज सिंह राजपूत की पत्नी ने बताया कि उसका बेटा 11 महीने का था तभी पति को भारत-पाकिस्तान के बीच छिड़ी युद्ध में शामिल होने के लिए जाना पड़ा। पाकिस्तान से युद्ध लड़ने के दौरान शहीद हुए आज भी उनकी याद उन्हें झकझोर देती है। 11 महीने में ही बेटे की सिर से पिता का साया उठ गया। आज भी वह दिन उन्हें झकझोर कर रख देता है जब बटालियन से उनकी शहीद होने की खबर आई।

नाज और गर्व है अपने पतियों पर

शहीद शिवराज सिंह राजपूत और शहीद नेत्रपाल सिंह की पत्नी ने कहा कि उन्हें अपने पतियों पर नाज है। उनके पति युद्ध में लड़ते हुए शहीद हुए और इतिहास के पन्नों में उनकी शहादत दर्ज हो गई। आज सेना की ओर से मान सम्मान दिया गया है वह उन्हीं की देन है। इस सम्मान के सही हकदार उनके पति हैं। हमें गर्व है कि हम शहीदों की पत्नियां हैं।

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