नई कृषि बिलों को रद्द करने की मांग को लेकर लाखों किसानों ने दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाला हुआ है। इस दौरान सरकार और किसान नेताओं के बीच कई बार वार्ता का दौर भी चल चुका है। यहां तक कि अभी भी सरकार ने किसानों को पत्र लिखकर यही कहा है कि अभी भी बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं।
दरअसल गुरुवार को सरकार की ओर से किसानों को चिट्ठी लिखी गई है। यह चिट्ठी कृषि मंत्रालय की ओर से लिखी गई। इस चिट्ठी में कहा गया कि सरकार किसानों की हर मांग पर चर्चा करने के लिए तैयार है। इस पत्र के माध्यम से सरकार ने साफ तौर पर कहने की कोशिश की है कि बातचीत के रास्ते अभी भी खुले हुए हैं।

वहीं गुरुवार को कांग्रेस दल के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। इस दौरान इस प्रतिनिधिमंडल ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग रखी।प्रतिनिधिमंडल की राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए और इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। मीडिया कर्मियों से राहुल गांधी का कहना था कि ”राष्ट्रपति से हमने कहा कि ये कानून किसान विरोधी है और इससे मजदूरों और किसानों का बहुत नुकसान होने जा रहा है तथा किसान इन कानूनों के खिलाफ खड़ा है। प्रधानमंत्री को यह नहीं सोचना चाहिए कि ये मजदूर और किसान वापस चले जाएंगे। जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक ये किसान पीछे नहीं हटेंगे।”
फिलहाल कृषि मंत्रालय द्वारा लिखे गए इस पत्र में किसान संगठनों से वार्ता के लिए तिथि, समय और मुद्दा निर्धारित करने के लिए कहा गया है ताकि किसानों की समस्याओं को जल्द से जल्द सुलझा कर के आंदोलन खत्म कराया जा सके।