मां और बच्चे का रिश्ता दुनिया में सबसे अहम और अनमोल होता है। मां से रिश्ता होने के बाद ही एक बच्चा बड़ा होने तक अपने जीवन में कई और रिश्तों को अपना सकता है। मां की ममता और प्यार हर इंसान के लिए बहुत जरूरी होती है। मां बच्चे की इस जरूरत को बिना किसी स्वार्थ के पूरा करती है। वैसे तो मां अपने बच्चे पर अपना पूरा जीवन कुर्बान कर देतीं हैं। बच्चे की खुशी में खुश और तकलीफों में दर्द बांटती है। ऐसे में बच्चे अपनी मां के लिए कुछ खास करना चाहते हैं। मां की इसी ममता और प्यार को सम्मान देने के लिए एक खास दिन होता है। इस दिन को मदर्स डे कहते हैं।
हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस साल 8 मई को मदर्स डे मनाया जा रहा है। लोग इस दिन अपनी मां को खास महसूस कराकर उन्हें यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनके जीवन में मां की क्या भूमिका है और वह भी मां से प्यार करते हैं। मदर्स डे भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि मदर्स डे मई माह के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाया जाता है? मदर्स डे मनाने की शुरुआत कब से और क्यों हुई? चलिए जानते हैं मदर्स डे का इतिहास, महत्व और इस खास दिन से जुड़ी कहानी।
मदर्स डे कब मनाया जाता है
मदर्स डे दुनिया भर में मई महीने के दूसरे रविवार के दिन मनाया जाता है। साल 2022 में मदर्स डे 8 मई को मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने की शुरुआत औपचारिक तौर पर 1914 में हुई थी।
सबसे पहले मदर्स डे किसने मनाया
मदर्स डे मनाने की शुरुआत एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी महिला ने की थी। एना अपनी मां को आदर्श मानती थीं और उनसे बहुत प्यार करती थीं। जब एना की मां की निधन हुआ तो उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला करते हुए अपनी मां के नाम अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने मां को सम्मान देने के लिए मदर्स डे मनाने की शुरुआत की। उन दिनों यूरोप में इस खास दिन को मदरिंग संडे कहा जाता था।