आगरा। कारगिल विजय दिवस: ऊपर पहाड़ से हो रही थी बमबारी। नीचे से मोर्चा संभाला था भारतीय सेना ने। कारगिल युद्ध में शामिल रहे कर्नल जीएम खान ने बताए भारतीय सेना के अदम्य साहस के किस्से।
शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले वतन पर मर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा। भले ही यह पंक्तियां काफी पुरानी हो चुकी हो लेकिन आज भी यह पंक्तियां अपने कथन को चरितार्थ करती हुई नजर आती हैं। आज कारगिल विजय दिवस है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की शौर्य गाथा आज भी लोगो के जेहन में है। कारगिल युद्ध के शहीदों को नमन किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई। इस दौरान सेना मेडल से सम्मानित कर्नल जीएम खान मून ब्रेकिंग से रूबरू हुए और उन्होंने कारगिल युद्ध को लेकर अपने अनुभव और वीर जवानों की आंखों देखी हिम्मत को बयां किया।
ऊपर पहाड़ से हो रही थी बमबारी नीचे से मोर्चा संभाला था भारतीय सेना ने
कर्नल जीएम खान बताते हैं कि कारगिल की जंग 60 दिन से भी ज्यादा चली थी। इस जंग को ऑपरेशन विजय नाम दिया गया। उन्होंने बताया कि जंग का मुख्य कारण पाकिस्तान सेना का एलओसी के पास जमीन है और कुछ क्षेत्रों पर अपना अवैध रूप से कब्जा करना था । उन्होंने बताया कि सर्दी के समय दोनों देशों की सेना पीछे हट जाती है लेकिन पाकिस्तान ने इस बार ऐसा नहीं किया।
समय गुजरता गया और पाकिस्तान अवैध रूप से भारतीय सीमा में घुसने लगा। जब भारतीय सेना और सरकार को यह पता चला तो फिर पाकिस्तान को पीछे खदेड़ने के लिए जंग के अलावा कोई और चारा नहीं था। यह जंग भी बहुत मुश्किल वाली थी क्योंकि ऊपरी हिस्से पर पाकिस्तान की सेना थी और निचले हिस्से में भारतीय सेना पाकिस्तान के हमले का करारा जवाब दे रही थी। इस जंग में पाकिस्तान से लड़ते हुए भारत के काफी जवान शहीद हो गए थे।
परिवार की आंखें थी नम, देश भर की मांग की थी दुआएं
आज यानी 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) है। जम्मू-कश्मीर के कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 तक युद्ध चला था। इस युद्ध में भारती की जीत हुई थी। कर्नल जीएम खान बताते हैं कि इस युद्ध के दौरान जब कारगिल जाने के लिए आदेश आया तो परिवार की आंखें नम थी लेकिन देश भर की मांग की दुआ उनके साथ थी।
वह भी भारत मां के प्रति अपने कर्तव्य को निभाने के लिए चल पड़े इस युद्ध में उनके साथियों व बहादुर सैनिकों द्वारा अदम्य साहस और वीरता दिखाई। इस दौरान कुछ साथियों की शहादत भी हुई।
अपने के खोने का होता है गम
कर्नल जीएम खान बताते हैं कि इस युद्ध के दौरान कुछ ऐसे पल भी सामने आए जो अपने बहुत करीबी थे अपनों से भी अधिक हो गए थे लेकिन आंखों के सामने वह वीरगति को प्राप्त हो गए। अपनों से किया हुआ वायदा वह पूरा नहीं कर सके।
वह अपने घर वापस नहीं लौट सके। बस यही कसक आज भी उन्हें रुला देती है क्योंकि जीत हासिल होने के बाद वह तो अपने घर लौट आए लेकिन उनके साथी वीरगति को प्राप्त हो गए। शायद उनके परिजन आज भी टकटकी लगाए दरवाजे की ओर देखते होंगे कि वह कब लौटेगा।
पूरा देश गौरवान्वित
कर्नल जीएम खान कहते हैं कि आज का दिन भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। पूरा देश शहीदों के साहस और शौर्य को याद कर गौरवान्वित है। हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों को आज के दिन याद किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है।
कर्नल जीएम खान कहते हैं कि जब पूरा देश कारगिल विजय दिवस मनाता है हर व्यक्ति इस युद्ध को याद करता है शहीदों की शहादत को नमन करता है बस यही पर उन्हें गौरवान्वित महसूस करा देता है और याद दिलाता है कि भारत मां की रक्षा के लिए उसने क्या किया है।