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‘मुझे भी अपने पापा की तरह बेहतरीन पायलट बनना है’, बेटी आराध्या ने अपने पिता पृथ्वी सिंह के साथ के सुनाए किस्से

by admin
'I also want to be the best pilot like my father', daughter Aaradhya narrates stories with her father Prithvi Singh

Agra. ‘पापा की तरह मुझे भी आसमान में उड़ना है, मुझे भी आसमान बहुत अच्छा लगता है, मैं भी अपने पिता की तरह अपने सपने को साकार करना चाहती हूं। डैडी ने पायलट बन कर अपना सपना पूरा किया और अब मेरी बारी है। मैं भी अपने डैडी की तरह एक बेहतरीन पायलट बनना चाहती हूं।’ यह शब्द विंग कमांडर शहीद पृथ्वी सिंह की बेटी के थे, जो तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए।

शनिवार को शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का पार्थिव शरीर आगरा पहुंचा। यहां पर निज निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने के बाद उनके पार्थिव शरीर को ताजगंज शमशान घाट ले जाया गया। शनिवार दोपहर को उनका शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया। ताजगंज स्थित श्मशान घाट पर बेटा अविराज सिंह चौहान, बेटी आराध्या चौहान और ममेरे भाई पुष्पेंद्र सिंह जादौन ने मिलकर मुखाग्नि दी।

उनके अंतिम संस्कार के दौरान भारी जन सैलाब उमड़ा। हर किसी की आंखें नम थी और श्मशान घाट पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि भी दी जा रही थी। हर ओर पृथ्वी सिंह चौहान का नाम गूंज रहा था। इस दौरान मून ब्रेकिंग से शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की बेटी आराध्या सिंह ने बातचीत की तो उसने कहा कि वह भी पिता विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की तरह बेहतरीन पायलट बनना चाहती है। क्योंकि मुझे भी अपने पापा की तरह खुले आसमान में उड़ना है, मुझे उन्हीं से प्रेरणा मिली और मेरा यह सपना बन गया है। मैं एक बेहतरीन पायलट बनना चाहती हूं। यह पापा का सपना नहीं बल्कि मेरा सपना है लेकिन पापा की तरह ही मुझे भी खुले आसमान में उड़ना है।

विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की बेटी आराध्या सिंह 13 साल की है। वह सातवीं में पढाई कर रही है। आराध्या ने बताया कि, वह अच्छा पायलट बनना चाहती है। इसके लिए डैडी से खूब बातें करती थी। आराध्या चौहान ने कहा कि, डैडी खूब पढाया करते थे। डैडी से मैं मैथ और साइंस पढती थी। वह दोनों ही सब्जेक्ट बेहतरीन तरीके से पढाते थे। जब भी मेरे किसी सब्जेक्ट में नंबर कम आते थे तो डैडी कहते कि, हमें फोकस रखकर पढाई करनी चाहिए। कम नंबर आने पर घबराना नहीं हैं। मेहनत करो तो नंबर भी अच्छे आएंगे। इसलिए मेहनत से जी नहीं चुराना नहीं चाहिए।

पिता की याद सता रही

शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को मुखाग्नि देने के बाद श्मशाम घाट पर ही बेटा अविराज दोस्तों के साथ खेलने लगा। उसे समझ ही नहीं है कि, जिसे उसने मुखाग्नि दी है अब दोबारा लौट कर नहीं आएंगे। अभी वह नासमझ है। मगर, जब उससे पिता के बारे में पूछा तो कहा कि, उसे बहुत याद आ रही है। कई दिन से पिता को नहीं देखा है। इससे ज्यादा अविराज ​सिंह कुछ नहीं बोल रहा है।

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