साल 2021 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 26 मई को दिखाई देगा। वैज्ञानिकों के अनुसार पूर्ण चंद्रग्रहण को सुपरमून और ब्लड मून भी कहा जा रहा है। इस चंद्रग्रहण की अवधि केवल 14 मिनट होगी और उस समय चंद्रमा पूरा सुर्ख लाल हो जाएगा। हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
बताया जाता है कि भारत में यह उपछाया चंद्रग्रहण है। इसलिए ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। बता दें कि ग्रहणकाल में सूतककाल के समय शुभ कार्य, खाना और पीना नहीं किया जाता है। मान्यता है कि इससे दोष लगता है। आइए जानते हैं कि भारत में किस समय और कहां देखा जा सकेगा।
बताया जाता है कि साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण सुबह 2:17 बजे शुरू होगा और शाम 7:19 बजे तक दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार चंद्रमा के उदय होने के तत्काल बाद देश के उत्तर पूर्वी हिस्सों (सिक्किम को छोड़कर), पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, ओड़िशा के कुछ तटीय भागों तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह से दिखाई देगा। पोर्ट ब्लेयर से ग्रहण को शाम पांच बजकर 38 मिनट से 45 मिनट तक के लिये देखा जा सकता है। पुरी और मालदा में शाम 6 बजकर 21 मिनट पर चंद्रग्रहण देखा जा सकता है लेकिन सिर्फ दो मिनट के लिए।
ज्योतिष में उपच्छाया चंद्रग्रहण को वास्तविकता में कोई चंद्रग्रहण नहीं माना जाता क्योंकि जब भी कोई चंद्रग्रहण घटित होता है तो उससे पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है, जिसे ज्योतिष में चंद्र मालिन्य कहते हैं। पृथ्वी की इस उपछाया से निकलने के बाद ही, चंद्रमा उसकी वास्तविक छाया के अंतर्गत प्रवेश करता है और इसी स्थिति में वास्तविक रूप से, पूर्ण अथवा आंशिक चंद्रग्रहण लगता है। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि जब पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करने के बाद, वहीं से बाहर निकल जाता है। जिससे वो पृथ्वी की असली छाया तक प्रवेश नहीं कर पाता। इस स्थिति में चंद्रमा की सतह पृथ्वी से देखने पर, कुछ धुंधली प्रतीत होती है और उसका बिम्ब भी सामान्य से धुंधला पड़ जाता है। यह बिम्ब इतना हल्का होता है कि, आप इसे पृथ्वी से अपनी नग्न आंखों से नहीं देख सकते। इसी स्थिति को उपच्छाया चंद्रगहण कहा जाता है। चूंकि इस दौरान चन्द्रमा का कोई भी भाग ग्रसित नहीं होता, इसलिए इसे ग्रहण की मुख्य श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इस कारण इस उपच्छाया ग्रहण का सूतक भी माननीय नहीं होता।
क्या है रेड ब्लड मून (Red Blood Moon)
26 मई को लगने वाला चंद्रग्रहण एक खास खगोलीय घटना होगी क्योंकि एक ही बार में सुपरमून, चंद्र ग्रहण और लाल रक्त चंद्रमा (Red Blood Moon) होगा। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रग्रहण होता है। इस स्थिति के कारण पृथ्वी की छाया चांद की पूरी रोशनी को ढक लेती है। ऐसे में सूर्य की रोशनी पृथ्वी की वायुमंडल से टकराकर जब रोशनी चांद पर पड़ती है तो चांद चमकीला हो जाता है। जब चांद धीरे-धीरे धरती के पीछे पहुंचता है तो उसका रंग अधिक गहरा हो जाता है और तांबे के रंग जैसा यानी गहरा लाल दिखने लगता है। इस रंग के कारण इसे ब्लड मून (Blood Moon) कहा जाता है।