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बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप, शादी के बाद बालिका पर पड़ता है विपरीत प्रभाव

by admin

Mathura. बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप है। इससे बालक व बालिका के स्वास्थ्य के साथ साथ उसके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो लोग बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं वो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हैं इसके लिए बालिकाओं को भी पुरजोर तरीके से आवाज उठानी होगी, यह कहना था चाइल्ड लाइन के पदाधिकारियों का।

बाल विवाह के प्रति बालिकाओं को जागरूक बनाने के लिए चाइल्ड लाइन संस्था की ओर से किशोरी रमण महाविद्यालय में प्रधानाचार्य अजय त्यागी के सहयोग से विद्यालय में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यालय में उपस्थित सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को चाइल्डलाइन संस्था के पदाधिकारियों ने बाल अधिकारों और बाल विवाह करने पर होने वाली कानूनी कार्रवाई की जानकारी दी।

चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर नरेन्द्र परिहार ने बताया कि बाल विवाह करना कानूनी अपराध है। कम उम्र में बच्चों का बाल विवाह करने से उनके शारीरिक विकास एवं स्वास्थ्य जीवन मानसिक स्थिति आदि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका और 21 वर्ष से कम उम्र कम उम्र के बालक की शादी करना बाल विवाह के अंतर्गत आता है जो एक कानूनी अपराध भी है। बाल विवाह होने से बालक और बालिका पूरी तरह से शारीरिक विकास नहीं होता है और इस बीच दोनों के बीच बनने वाले संबंध बालिका के लिए घातक होते है।

चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर नरेन्द्र परिहार ने बताया कि बाल
भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 बनाया गया है जिसमें दोषी लोगों को 2 वर्ष कारावास या एक लाख रुपये जुर्माना एवं दोनों देने का प्रावधान है।

सोशियोलॉजी प्रोफेशर आलोक कुमार का कहना था कि इस सामाजिक कुरुति को दूर करने के लिए सभी लोगों को जागरूक होना होगा। सभी लोग बाल विवाह की विसंगतियों कोआ जान पाएंगे तभी बाल विवाह को रोकने में आगे आएंगे। बहुत से ऐसे लोग हैं जो बाल विवाह को परंपराम मानते हैं और इस परंपरा को निभाने के लिए अपने बच्चों की शादी कच्ची उम्र में ही कर देते हैं। देश में भले ही बाल विवाह को रोकने के लिए कानून बना हो लेकिन बाल विवाह अभी भी जारी है।

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