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कैंसर दिवस: ईलाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है जागरूकता

by admin

आगरा। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है। यह एक ऐसी जानलेवा और गंभीर बीमारी है जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। यह बीमारी पूरे विश्व में फैल चुकी है, इस बीमारी की चपेट में सबसे अधिक मरीज़ हैं। इसकी रोकथाम करने और जागरूकता फैलाने के लिए हर साल चार फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है।

सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा मनाया गया। विश्व कैंसर दिवस की स्थापना यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल के द्वारा की गई। इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या को कम करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचानने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरूकता बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना है, इतना ही नहीं इस दिवस को मनाने का लक्ष्य कैंसर के संबंध में फैली गलत धारणाओं को भी कम करना है।

कैंसर से संबंधित सही जानकारी लोगों तक पहुंचे, इस दिशा में प्रयास किया जाता है। तेजी से फैल रही इस बीमारी में स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, ब्लड कैंसर, फेफड़ों का कैंसर और पेट का कैंसर सहित और भी नए तरह के कैंसर आ गए हैं। वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक तीन साल के लिए विश्व कैंसर दिवस की थीम “मैं हूं और मैं रहूंगा – (आई एम एंड आई विल)” रखा गया है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. मुकेश कुमार वत्स ने बताया कि कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए सावधानी व सतर्कता जरुरी है। इससे बचाव के लिए इसके विभि‍न्न कारण और लक्षणों के बारे में जानकारी होना आवशयक है। कैंसर के कई प्रकार ऐसे होते हैं, जिनमें बहुत देर में पता चलता हैं जिससे ईलाज में देरी होती है। उन्होंने बताया कि इसके प्रति जागरूकता बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं का कहना है कि समय पर जांच महिलाओं को इसके खतरे से बचा सकती है। विकासशील देशों में गर्भाशय कैंसर के होने की आशंका 15 गुना तक ज्यादा है, लेकिन वहां इसकी पारंपरिक स्मियर जांच उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यदि वहां मूत्र जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके, तो कई महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है। 30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है। इसकी जांच में प्री-कैंसर स्टेज का भी पता चलता है। यानी कैंसर होने के 5-10 साल पहले ही जांच से इसका पता लगाया जा सकता है, इसलिए जांच की बेहतर सुविधा कई जिंदगियां बचा सकती है। आंकड़े बताते हैं कि 70 में से एक महिला को गर्भाशय का कैंसर होता है। इसका मुख्य कारण समय पर बीमारी का पता न चलना है।

उन्होने बताया आज के युग में, महिलाओं में स्तन कैंसर मौत का सबसे बड़ा कारण है। स्तन कैंसर के बहुत से लक्षण हैं जो कि शुरूआती दिनों में जाँचे जाने पर ईलाज किये जा सकते हैं।

कैंसर के कुछ लक्षण
• स्तन या शरीर के किसी अन्य भाग में कड़ापन या गांठ।
• एक नया तिल या मौजूदा तिल में परिवर्तन।
• कोई ख़राश जो ठीक नहीं हो पाती।
• स्वर बैठना या खाँसी ना हटना।
• आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन।
• खाने के बाद असुविधा महसूस करना।
• निगलने के समय कठिनाई होना।
• वजन में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी।
• असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज।
• कमजोर लगना या बहुत थकावट महसूस करना।

कैंसर की रोकथाम-

कैंसर होने के खतरे को कम करने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
• तंबाकू उत्पादों का प्रयोग न करें।
• कम वसा वाला भोजन करें तथा सब्जी, फलों और समूचे अनाजों का उपयोग अधिक करें।
• नियमित व्यायाम करें।

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