आगरा। जनपद के पूर्वी देहात क्षेत्र में ज्यादातर उप स्वास्थ्य केंद्र भूसे के साथ पशुओं का तबेला बन गए हैं। लाखों रुपए की लागत से बनी इमारत ग्रामीणों के उपयोग में काम आ रही हैं, यहां ना कोई स्वास्थ्य कर्मी पहुंचता है और ना ही कोई डॉक्टर। ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बनाए गए उप स्वास्थ्य केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। लगता है कि स्वास्थ्य विभाग का काम किसी का उपचार करना नही बल्कि सरकार के लाखो करोडों रुपये बर्बाद करना ही हो गया है। विभाग ने स्वास्थ्य केन्द्र के नाम पर लाखों खर्च करवाकर इमारत तो बनवा दी है लेकिन उसका सदुपयोग नहीं किया गया।
मामला ब्लाक पिनाहट के गांव उटसाना, एवं सबोरा मे बने उपस्वास्थ्य केन्द्र का है जो लाखो रुपये की लागत से बनकर तैयार तो हो गये लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इसके लिया न तो कोई डाक्टर और न ही स्टाफ ही उपलब्ध हुआ। इस कारण ये इमारत बिना उपयोग के जर्जर हो गयी। मगर ग्रामीणों ने इन इमारतों को खाली पड़ा देख अपने काम में उपयोग करना मुनासिब समझा।
ग्रामीणों द्वारा सबोरा गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र में भूसा भर दिया गया, साथ ही बाजरे के गट्ठर बिल्डिंग के पास ला दिए गए। गांव उटसाना में तो ग्रामीणों ने उप स्वास्थ्य केंद्र को अपने पशुओं का तबेला का रूप दे दिया। अब इस इमारत में उपचार के नाम पर तबेला और भूसा भरा हुआ है।जिसमे मरीजो की जगह भैसे बंधी रहती और ग्रामीण अपनी उपले पाथते है। सरकार ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने का हर संभव प्रयास कर रही है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग इसको पलीता लगातार नजर आ रहा है, जिस तरफ आज तक किसी का ध्यान तक नही गया।
ग्रामीणो की माने तो जिस समय यह उप स्वास्थ्य केन्द्र बना तब गांव में बडी खुशी हूई कि अब उपचार को भटकना नही पडेगा लेकिन वो खुशी चंद पल की थी।क्योंकि आज तक इस इमारत मे कोई डाक्टर या स्टाफ का कोई भी कर्मचारी झाडू लगाने तक नही पहुंचा।
पिनाहट क्षेत्र ब्लाक के ज्यादातर गांवों मे ऐसे ही उप स्वास्थ्य केन्द्र बने है जो रखरखाव न होने के कारण जर्जर पडे हुऐ है। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी यहां निरीक्षण करने के लिए भी नहीं पूछते हैं, जिस पर ग्रामीणों ने अब सवाल उठाना शुरू कर दिया है।