Agra. बेगुनाह होने के बाद भी 20 वर्ष जेल में निरुद्ध रहे विष्णु तिवारी की बुधवार को केंद्रीय कारागार से रिहाई हो गई। जेल से रिहाई होने के बाद विष्णु की आंखे नम थी। वह यह नहीं समझ पा रहा था कि यह आँसू खुशी के है या फिर इन 20 सालों में अपनों को खोने के। ललितपुर जनपद के थाना महरौली के गांव सिलावन के रहने वाले 46 वर्षीय विष्णु के खिलाफ वर्ष 2000 में दुष्कर्म एवं एससी/एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज हुआ था। वह तभी से जेल में था। अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाने के बाद अप्रैल 2003 में उसे केंद्रीय कारागार आगरा में स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पहले वह तीन वर्ष ललितपुर जेल में निरुद्ध रहा।
क्या था मामला –
मामला साल 2000 का है। विष्णु यूपी के ललितपुर गांव में अपने पिता और दो भाइयों के साथ रहता था। स्कूल छोड़ने के बाद वह परिवार की मदद के लिए नौकरी कर रहा था। उसी साल सितंबर में दूसरे गांव की एक महिला ने उसके खिलाफ रेप का आरोप लगाया था। विष्णु के खिलाफ अनुसूचित जनजाति की महिला के साथ रेप, धमकी और यौन शोषण के तहत मामला दर्ज हुआ। ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। 2003 में उसे आगरा सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। 2005 में विष्णु ने मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का मन मनाया लेकिन बात नहीं बनी।
सजा के 14 साल बाद दाखिल की दया याचिका-
14 साल पूरे होने पर विष्णु ने दया याचिका के लिए अपील का फैसला किया। आर्थिक रूप से कमजोर विष्णु के पास अपनी पैरवी के लिए न रुपये थे और न ही कोई वकील। जेल अधिकारियों ने स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी से संपर्क किया और पिछले साल हाई कोर्ट में अपील दाखिल की। 28 जनवरी को जस्टिस कौशल जयेंद्र ठाकेर और गौतम चौधरी की पीठ ने उसे निर्दोष करार दिया।
सुनवाई में साबित हुआ निर्दोष-
कोर्ट ने पाया कि मामले में एफआईआर तीन दिन बाद दर्ज हुई थी और महिला के प्राइवेट पार्ट पर कोई चोट के निशान नहीं थे जैसा कि दावा किया था। कोर्ट ने बताया कि दोनों परिवारों के बीच जमीन विवाद था और महिला के पति और ससुर ने शिकायत दर्ज कराई थी न कि महिला ने। इस पूरे मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने विष्णु की रिहाई का आदेश दिया। विष्णु को परवाने का इंतजार था। बुधवार तीसरे पहर परवाना पहुंचा और जेल अधिकारियों ने उसकी रिहाई में देर नहीं की। परवाना मिलते ही सारी कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई और विष्णु को रिहा किया।
भगवान को कहा शुक्रिया-
जेल से रिहा होने के बाद विष्णु ने भगवान को शुक्रिया कहा। उसने कहा प्रभु के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं। 20 साल पहले जो आरोप लगा था उसमें रूप बेगुनाह साबित हुआ लेकिन इन 20 सालों में उसने बहुत कुछ खो दिया।
20 वर्ष में खोए स्वजन
विष्णु पांच भाइयों में चौथे नंबर का है। वर्ष 2013 में उसके पिता रामसेवक की मौत हो गई। एक साल बाद ही मां भी चल बसीं। कुछ साल बाद बड़े भाई राम किशोर और दिनेश का भी निधन हो गया, दोनों शादीशुदा थे। पैरोल न मिलने की वजह से वह किसी भी अंतिम संस्कार में नहीं जा सका।
विष्णु खोलेगा अपना ढाबा-
जेल में रहने के दाैरान निपुण रसोइया बन चुके विष्णु की योजना अपना ढाबा खोलने की है। मगर, उसके पास जमा पूंजी नहीं है। इसलिए वह बाहर आने के बाद पहले ढाबे पर काम करेगा। पूंजी जमा करने के बाद अपना ढाबा खोलेगा।
आगरा सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना था कि ‘विष्णु को रिहा किया गया है, आज हमें आधिकारिक रिहाई का आदेश मिला है। यह दुर्भाग्यवश है कि जो अपराध उसने किया ही नहीं उसके लिए उसे 2 दशक जेल में रहना पड़ा।