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2 अप्रैल को छूटी परीक्षा पर आगरा विवि ने लिया फैसला, इस दिन होगी परीक्षा

by admin

आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि ने 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान पर परीक्षार्थियों की छूटी परीक्षा को दोबारा कराने का फैसला लिया है। पिछले 6 महीने से कई परीक्षार्थी छूटी हुई परीक्षा को दोबारा कराने की मांग कर रहे थे जिस पर अब आगरा विवि ने हरी झंडी दे दी है।

बताते चलें कि SC ST समाज की ओर से 2 अप्रैल को किए गए उपद्रव के चलते शहर में सुबह से ही अराजकता का माहौल था। शहर की प्रमुख सड़कों से लेकर प्रमुख चौराहों व हर आने आने जाने वाले रास्तों पर भीड़ भाड़ का आलम था और तोड़फोड़ व आगजनी की स्थिति बनी हुई थी। जिसके चलते शहर का यातायात व आम आवाजाही पूरी तरह से ठप रही। इसका खामियाजा उन छात्रों को भी भुगतना पड़ा जो कि अपनी परीक्षाएं देने के लिए विभिन्न डिग्री कॉलेजों में जा रहे थे। विश्वविद्यालय की उस दौरान परीक्षा चल रही थी लिहाजा सैकड़ों छात्र परीक्षा से वंचित रह गए थे और तभी से हुए परीक्षाएं कराने की मांग उठा रही थी।

6 महीने तक हल्ला करने के बाद आखिरकार अब विश्वविद्यालय प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटी और कुलपति ने 2 अप्रैल को छुट गई परीक्षा पुनः कराए जाने का आश्वासन दिया है। यह परीक्षा अब 22 अप्रैल को आयोजित की जा रही है जिसे विश्वविद्यालय अपना एक बड़ा फैसला मान रहा है जो कि छात्र हित में छात्रों की मांग को देखते हुए किया गया है। लेकिन इस फैसले को लेने में विश्वविद्यालय को इतने माह आखिर क्यों लग गए।

माना जा रहा है कि छह सितंबर को जिस तरह से 2 अप्रैल के जवाब में भारत बंद रहा शायद उसी का नतीजा रहा कि कुलपति आखिर अपनी नींद से जागे और इन छात्रों की समस्याओं को देखते हुए आखिरकार उन्होंने परीक्षा कराने का फैसला कर लिया। लेकिन अब जब विश्वविद्यालय के लगभग सभी परिणाम घोषित हो चुके हैं ऐसे में अब इस एक परीक्षा को करा कर इन छात्रों के परिणाम उन्हें निकालना आसान नहीं होगा। आम परीक्षाओं के दौरान तो विश्वविद्यालय प्रशासन सही तरह से परिणाम नहीं दे पाता और जिन छात्रों का कोई संशोधन से जुड़ा काम हो तो उसके लिए तो महीना ही लटकना पड़ता है।

ऐसे में इस एक परीक्षा के हो जाने के बाद उनका परिणाम कब तक आएगा और इस परिणाम को लिए हुए अग्रिम कक्षाओं में कैसे प्रवेश ले पाएंगे। इस समस्या की ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने शायद इन 6 महीनों में एक बार भी नहीं सोचा क्योंकि यदि विश्वविद्यालय ने यह ध्यान दिया होता तो शायद इस परीक्षा को कराने का निर्णय 6 माह पहले ही हो जाता।

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