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जनकपुरी विवाद को लेकर कांग्रेस नेता राजबब्बर ने पत्र के माध्यम से व्यक्त की अपनी वेदना

by pawan sharma

आगरा। विजय नगर में सजने जा रही जनकपुरी को और भव्य तरीके से सजाने के लिए पिछले दिनों जनकपुरी महोत्सव कमेटी का गठन किया गया था लेकिन जैसे ही यह कमेटी गठित हुई उसी समय से विवादों में आ गयी। कभी विवाद जनकपुरी कमेटी को लेकर उठता है तो कभी विकास कार्यों को लेकर चल रही खींचतान साफ दिखाई देती है। जनकपुरी महोत्सव कमेटी को लेकर विजय नगर में शुरू से ही दो गुट बने हुए हैं और दोनों को एक दूसरे पर हावी होना चाहते हैं। इस गुटबाजी और आपसी खींचतान का असर जनकपुरी महोत्सव पर देखने को मिल रहा है जिसमें अभी तक विकास कार्य की एक ईंट तक नहीं लग पाई है। जनकपुरी महोत्सव की खींचतान दैनिक अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। इन सुर्खियों से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को भी गहरा आघात लगा है। इस विवाद को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने एक पत्र जारी किया है जिसमें उन्होंने जनकपुरी महोत्सव को लेकर चल रही खींचतान पर अपनी वेदना व्यक्त की है।

इस पत्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने लिखा है कि

आगरे में ही मेरा जन्म हुआ है और आगरा शहर ने ही मुझे इतनी क्षमता दी कि मैं इस ऊंचाई तक पहुंच पाया हूं। यहां कुछ अच्छा होता है तो मुझे प्रसन्नता होती है। वहीं किसी भी भिन्नता और सामाजिक असहजता से तकलीफ होना स्वाभाविक है। समाचार पत्रों के माध्यम से विजय नगर की जनकपुरी के बारे में जो लिखा जा रहा है उसने मुझे आहत किया है। इसलिए मैं अपनी वेदना सभी के सामने रख रहा हूं।

किसी विकृति को दूर करने की दो विधि होती हैं। एक तो उस विकृति का एहसास कर उस विकृति को दूर कराने का सुझाव दें और दूसरा, कर्ता से विनम्र आग्रह कर कार्यप्रणाली पर द्वारा विचार करने की प्रार्थना करें। मैं दूसरे विचार से सहमति रखता हूँ।

हमारी जितनी भी परंपराएं हैं वह जनजीवन को सुचारू रूप से चलाने का एक माध्यम है। उनमें विकृति न आये यह देखना हमारा कर्तव्य है।

समाज में विकृतिया बुरे व्यक्तियों की वजह से नहीं बल्कि अच्छे व्यक्तियों की निष्क्रियता के कारण आती हैं। सामर्थवान लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

अंत में राज बब्बर ने लिखा है कि एक बार फिर मैं जनप्रतिनिधि होने के नाते नहीं बल्कि आम आगरा वासी होने के नाते सभी प्रबुद्ध जन और आयोजन समिति के पदाधिकारियों से प्रार्थना करता हूं कि वह इस दुखद पल को सुखद पलों में परिवर्तित करें।

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