
मथुरा। दिवाली के अगले दिन मनाए जाने वाले गोवर्धन त्योहार को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन मंदिरों में कई तरह के खाने-पीने के प्रसाद बनाकर भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। इस दिन खरीफ फसलों से प्राप्त अनाज के पकवान और सब्जियां बनाकर भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी। ऐसा करके श्रीकृष्ण ने इंद्र के अहंकार को भी चूर-चूर किया था। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है।
यह उत्सव कार्तिक माह की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। इसका खास महत्व होता है। गोवर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाया जाता है। शाम के समय इसकी पूजा की जाती है। पूजा में धूप, दीप, दूध नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि गोवर्धन पर्व के दिन मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन लोग घरों में प्रतीकात्मक तौर पर गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं।
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