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प्राइवेट स्कूलों ने उड़ाई नियमों की धज्जियां, 24 बच्चे ठूंसकर सिलेंडर से चल रही है कार, कौन है जिम्मेदार…

by admin

आगरा। जनपद के बाह, पिनाहट, जैतपुर क्षेत्र में बिना मानकों के प्राइवेट स्कूलों में स्कूली वाहन दौड़ते हुए देखे जा सकते हैं। इन वाहनों में कोई मानक नहीं है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में छोटी छोटी गाड़ियां स्कूल संचालकों ने लगा रखी हैं जिनमें अवैध रूप से एलपीजी सिलेंडर लगाकर वाहन चलाया जा रहा है। यह वाहन स्कूली बच्चों के लिए काल का काम कर रहे हैं और बच्चे भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए जान हथेली पर लेकर मौत का सफर तय कर रहे हैं।

बाह पिनाहट क्षेत्र के सर्किलों के की बात की जाए तो दर्जनों की संख्या में स्कूल भी बिना रजिस्ट्रेशन और बिना मानक के चल रहे हैं जिन पर प्रशासनिक अधिकारियों का इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं है। स्कूलों में जो मानक तय होने चाहिए वह नहीं है, जिन स्कूलों की मान्यता कक्षा 1 से 5 तक है वह स्कूल दसवीं तक संचालित हैं, और वही जिन स्कूलों की मान्यता कक्षा 6 से 10 तक है स्कूलों को कक्षा 1 से कक्षा 10 तक चलाया जा रहा है, इतना ही नही इन स्कूलों में दर्जनों की संख्या में प्राइवेट वाहन लगाए गए हैं जो स्कूल पहुंचने वाले बच्चों के अभिभावकों से स्कूल वाहन के नाम पर मोटी रकम वसूल करते हैं लेकिन उनका बच्चा गाडी में सुरक्षित है इसकी गारंटी नहीं है।

बिना मानक वाले वाहनों में स्कूल संचालक द्वारा 20 से अधिक बच्चों को एक बार में ठूंस ठूंस कर बकरियों की तरह भर दिया जाता है, जिन वाहनों में बच्चे ठीक से सांस भी नहीं ले सकते, अगर बात की जाए तो इन स्कूली वाहनों को घरेलू उपयोग में लाई जाने वाली एलपीजी गैस से चलाया जा रहा है जिससे स्कूली बच्चे मौत का सफर वाहन में बैठकर कर रहे हैं। अगर कोई बड़ा हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

ग्रामीणों की माने तो बाह क्षेत्र के गांव प्रथम पुरा में एक ऐसा ही मामला सामने आया जहां एक इको गाड़ी में एलपीजी सिलेंडर लगा हुआ था और गाड़ी के अंदर करीब दो दर्जन बच्चों को ठूस कर चालक द्वारा भरा गया था। बच्चे पूरी तरह परेशान थे। वहीं गश्त कर रही क्षेत्रीय पुलिस ने इस कार को रुकवाया और बच्चों को बाहर निकाला तो इको गाड़ी से करीब 24 बच्चे बाहर निकले। बच्चों से पूछे जाने पर बताया कि यह नजारा तो रोजाना का है हम लोगों को इसी तरह भरकर स्कूल लाया जाता है, मगर स्कूल संचालकों को इसकी कोई परवाह नहीं है। इको गाड़ी के अंदर बिना मानक का एलपीजी गैस सिलेंडर लगा हुआ था जिससे बच्चों की जान को खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। पुलिस ने स्कूली वाहन को रुकवा कर उसे हिदायत देकर छोड़ दिया।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का कहना है कि कई बार इसकी शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से की मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जल्द ही ऐसे वाहनों पर और स्कूल संचालकों पर कार्रवाई हो अन्यथा कोई बड़ा हादसा हुआ तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, ये बड़ा सवाल है।

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