आगरा। गाँधी में विपरीत परिस्थितियों में सामंजस्य बैठाने का जबर्दस्त सामर्थ्य था।’’ जब तक हमारी सभ्यता में संघर्ष रहेगा तब तक गाँधी के सिद्धान्त प्रासंगिक हैं, यह कहना है उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रमेश चन्द दीक्षित का। वह आगरा काॅलेज, आगरा के इतिहास विभाग एवं पत्रकारिता संकाय के संयुक्त तत्वावधान में ’’महात्मा गांधी के विचार एवं वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि गाँधी जी कहते थे कि सत्य को देखो और जहां कहीं हिंसा हो तो उसे ’’एक्सपोज’’ करो और फिर जितनी सामर्थ्य हो उसे ’’अपोज’’ करो, फिर उसे ’’ट्रांसफोर्म’’ करो। उन्होंने गाँधी जी के तीन मंत्र ’किफायत की प्रवृत्ति’, ’दयाभाव’ व ’मानवता’ की चर्चा करते हुए कहा कि गाँधी ने इन बातों पर स्वयं क्रियान्वयन भी किया। गाँधी दर्शन अपने युग में तो था ही, आज भी भारत के साथ सम्पूर्ण विश्व में प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि गाँधी के उपर लियो टाॅलस्टाॅय एवं जाॅन रस्किन का अत्यधिक प्रभाव था। गाँधी के जीवन में जैन, बौध, इस्लाम एवं ईसाईयत के मूलभूत सिद्धान्त परिलक्षित होते हैं जो उन्हें पूर्ण आध्यात्मिक बनाते हैं।
समारोह की विशिष्ट अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने कहा कि आज हम सत्य, अहिंसा और शराबबंदी को भूल रहे हैं, जबकि गाँधी जी ने सर्वाधिक जोर इसी पर दिया था। उन्होंने कहा कि देश में गाँधी जी के ग्रामोद्योग की परिकल्पना से ही आर्थिक समृद्धि का सपना साकार हो सकेगा।
इससे पूर्व समापन समारोह में अतिथियों नेे माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि व प्राचार्य ने सेमिनार की ई-सोवेनियर को भी लाॅन्च किया, जिसमें डा0 गौरांग मिश्रा, डा0 विश्वकान्त, डा0 आशीष कुमार व डा0 उमेश शुक्ला का विशेष योगदान रहा।
समापन समारोह की अध्यक्षता प्राचार्य डा0 विनोद कुमार माहेश्वरी ने की तथा अतिथियों का आभार डा0 पियूष चैहान ने व्यक्त किया। डा0 बीआर अम्बेडकर विवि के डा0 यूएन शुक्ला ने सेमिनार का फीडबैक दिया। संयोजक डा0 अनुराग पालीवाल ने समापन समारोह का संचालन किया। मंच पर इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा0 वाईएन त्रिपाठी एवं सेमिनार के सहसंयोजक डा0 अमी आधार निडर भी उपस्थित थे।
मीडिया कोर्डीनेटर डा0 अमित अग्रवाल के अनुसार सेमिनार में कुल 450 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। सेमिनार के दूसरे दिन कुल 02 तकनीकी सत्र चले जिनमें 80 शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये। प्रथम तकनीकी सत्र के संसाधन व्यक्ति के रूप में डा0 सैमुअल स्टेनली तथा दूसरे तकनीकी सत्र में डा0 यूएन शुक्ला ने संसाधन व्यक्ति के रूप में सत्रों का संचालन किया।
डा0 अपर्णा पोद्दार, डा0 शरद भारद्वाज, डा0 पूनम चाॅद, डा0 निशा राठौर, डा0 गीता यादवेन्दु, डा0 शादां जाफरी, डा0 जयश्री भारद्वाज, डा0 सुनीता गुप्ता, डा0 महेन्द्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।