आगरा। अंसगठित क्षेत्र के श्रमिकों की प्रतिदिन दयनीय होती जा रही स्थिति को लेकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने श्रम, सेवायोजन, गरीबी उन्मूलन एवं शहरी रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान तुलाराम शर्मा ने मजदूरों की वर्तमान स्थिति से उन्हें रूबरू कराया।
तुलाराम शर्मा ने उन्हें बताया कि मजदूरों और श्रमिकों को काम नही मिल रहा है तो शिक्षा, स्वास्थय, सामाजिक सुरक्षा के लाभ से भी वो उपेक्षित हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम 11 सूत्रीय मांग पत्र उन्हें सौंपा और मजदूरों के उत्थान के लिए इन्हें पूरा कराये जाने की मांग की। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस ज्ञापन को मुख्यमंत्री तक पहुँचाये जाने का आश्वासन दिया।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संघठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा का कहना था कि देश व प्रदेश की सरकार बनाने में पत्थर खदान, भवन निर्माण, ईट भट्टा, घरेलू महिला श्रमिक, ढकेल वाले, रिक्शा चालक, सड़क बनाने वाले, बेलदार, पल्लेदार आदि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं फिर भी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही हैं। जिसका मुख्य कारण बेरोजगारी है।
तुलाराम शर्मा का कहना था कि लेवर चौक पर इकट्टा होने के बाद भी श्रमिकों को महीने में केवल दस दिन काम मिलता हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा के लाभ से यह मजदूर कोसों दूर है। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर निम्नलिखित मांग की है।:- पत्थर खदान श्रमिकों के लिए राजस्थान सरकार की तरह उ0प्र0 में भी सिलिकोशिस बोर्ड बनाया जाये और आगरा जनपद के तांतपुर क्षेत्र में पत्थर खदान श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की जायें।
1:- पत्थर खदान श्रमिकों के लिए राजस्थान सरकार की तरह उ0प्र0 में भी सिलिकोशिस बोर्ड बनाया जाये और आगरा जनपद के तांतपुर क्षेत्र में पत्थर खदान श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की जायें।
2:-ठेकेदारी प्रथा को खत्म कर अंसगठित क्षेत्र के श्रमिकों को कम से कम 600 रूपये प्रतिदिन न्यूनतम वेतन दिया जाये तथा 18000रू प्रतिमाह वेतन दिया जाये तथा 8 घण्टे काम लिया जाये। 8 घण्टे से अधिक काम लेने पर ओवर टाईम मजदूर को दिया जाये।
3:-प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर लघु सचिवालय स्थापना की जाये। जिससे गाँव के गरीब श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर योजनाओं का लाभ मिल सके।
4:-प्रत्येक लेबर चैकों पर मजदूरों केे बैठने के लिये स्थाई जगह तथा श्रमिक सहायता केन्द्र खोले जायें। जिससे श्रमिकों को योजनओं का लाभ मिले ,पेयजल व शौचालय की व्यवस्था की जायें।
5:-असंगठित क्षेत्र की श्रमिक महिलाओं को समान कार्य का समान वेतन व अधिकार दिया जाये तथा कार्य स्थल पर स्वास्थ्य व सुरक्षा का लाभ मिले।
6:-बाल श्रमिकों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए शिक्षा प्रशिक्षण केन्द्र गा्रमीण क्षेत्रों में चलाये जाये जिससे ग्रामीण क्षेत्र के कामकाजी बच्चे एंव जो स्कूल से बाहर हैं ऐसे बच्चों को शिक्षा के प्रति न्याय मिल सकें। जिससे बाल श्रमिकों का मानसिक ,बौद्धिक,शारीरिक, शैक्षिक विकास की ओर अग्रसर होकर देश के विकास के प्रति निष्ठावन बन सकें।
7:-घरों, कोठियों, ईट,भट्टा, कृषि, पशु चराने एंव घरों में अपने परिवार के साथ काम करने पर पाबन्दी लागई जाये। क्योंकि फैक्ट्रियों/कम्पनियां से ठेकेदारी के माध्यमों से माल लाकर घरों में परिवार के साथ बच्चे काम करते रहते हैं जिससे उनका बचपन व शिक्षा छूट जाती है।
8:-शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिक कालोनियों का निर्माण कराया जायें। जिससे गरीब श्रमिकों को रहने के लिए घर मिल सके।
9:-जो निर्माण श्रमिक गाँवों में या लेबर चैकों से निर्माण कार्य में काम करने जाते हैं ऐसे श्रमिक कहाँ से प्रमाण पत्र ठेकेदारों से लाकर देंगे। ऐसे श्रमिकों को स्वंय का प्रमाण पत्र मान्य किया जाये या ट्रेड यूनियन को सत्यापन करने का अधिकार दिया जायें।
10:-निर्माण क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक महिलाओं को बीओसीडब्ल्यू योजना के तहत सिलाई मशीन से लाभान्वित कराया जायें जिससे वे अपना स्वंय का रोजगार चला सकें। निमार्ण श्रमिकों को सौर्य ऊर्जा योजना से लाभान्वित कराया जाये।
11:-राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना ( मनरेगा ) के तहत 200 दिन काम दिया जायें। नही तो बेरोजगारी भत्ता दिया जायें।