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असंगठित मजदूरों का तैयार हो रहे डेटाबेस मामले में अहम है तुलाराम शर्मा का ये फ़ीडबैक

by admin
This feedback of Tularam Sharma is important in the database case being prepared for the unorganized workers

Agra. भारत देश में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों का एक बड़ा तबका है लेकिन अभी भी काफी मजदूर सरकारी सुविधाओं से दूर है और इसका सीधा असर कोरोना संक्रमण काल में देखने को मिला था। क्योंकि कोरोना संक्रमण की मार असंगठित क्षेत्र के मजदूरों पर पड़ी थी। न ही उन पर जमा पूंजी थी और न ही खाने के लिए दो वक्त की रोटी। इस समस्या को देखते हुए सुप्रीमो कोर्ट ने असंगठित मजदूरों डेटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए थे जिससे इन मजदूरों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके लेकिन सरकार अभी तक असंगठित मजदूरों का डेटाबेस तैयार नहीं कर पाई है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार भी लगाई थी। सूत्रों की मानें तो अब सरकार जुलाई के अंत तक असंगठित मजदूरों के डेटाबेस को जारी कर देगी। लगभग 40 करोड असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को इस डेटाबेस में सूचीबद्ध किया जाएगा। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के लिए पोर्टल बना रहा है जिस पर मजदूर अपना पंजीकरण करा सकता है।

असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का तैयार किया जा रहा डेटाबेस को लेकर उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के संस्थापक व अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का डाटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए हो लेकिन उनकी यह मांग करीब एक दशक पुरानी है। वह लगातार ग्राम पंचायत स्तर पर एक हेल्प डेस्क बनाकर असंगठित मजदूरों के पंजीयन को लेकर आवाज उठाते रहे। भले ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस कार्य को अंजाम दिया हो लेकिन असंगठित क्षेत्रों के हक में हो रहे इस कार्य के लिए उन्हें खुशी भी जताई है।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा का कहना है कि सरकार के मुताबिक 38 से 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं लेकिन इसकी संख्या इससे कहीं अधिक ज्यादा है। क्योंकि सरकार जो आंकड़े इस समय एकत्रित कर रही है वह श्रम विभाग, मनरेगा व अन्य योजनाओं में पंजीकृत मजदूरों का आंकड़ा ले रही है जबकि काफी संख्या में ऐसे मजदूर हैं जो अभी किसी भी योजना से पंजीकृत नहीं है। वे रोज काम करते हैं, कमाते हैं और दो वक्त की रोटी खाते हैं। ऐसे मजदूरों का एक बड़ा तबका समाज में मौजूद है और यही लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं से अछूते रह जाते हैं।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने मांग की है कि सरकार जब असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों का डाटा तैयार कर रही है तो उसे ग्राम पंचायत स्तर पर एक हेल्प डेस्क जरूर बनानी चाहिए। वहां मजदूर अपना पंजीकरण कराएं और मजदूर की जांच सरकार की एजेंसी करें जिससे यह पता लग सके कि वह मजदूर है और सरकार की योजनाओं का सही लाभ मजदूर तक पहुंच रहा है।

तुलाराम शर्मा ने सरकार से मांग की है कि असंगठित क्षेत्रों का जो डेटाबेस तैयार किया जा रहा है उसमें सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ इन मजदूरों के लिए काम कर ही यूनियन के पदाधिकारियों को भी शामिल किया जाना चाहिए जिससे मजदूरों के सही आंकड़े डेटाबेस में दर्ज हो सके।

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