आगरा. 2 मई 2024. हमारे पूज्य पिताजी स्व.रोशनलाल गुप्त करुणेश जी के परम हितैषी, मित्र श्री शिव कुमार भार्गव सुमन जी से हमारा आज भी पारिवारिक रिश्ता है। वे अपने जमाने के फिल्म पत्रकार हैं और फिल्मों और पुस्तकों की समीक्षा में उन्हें महारत हासिल है। वे अक्सर हमारे घर अभी चले आते हैं। पिछले दिनों भी वे हमारे सीताराम कालोनी, बल्केश्वर स्थित आवास पर आए। उन्होंने एक बड़ी रहस्यमयी बात बताई। बोले पिछले वर्षों में मुझे डिप्रेशन हो गया। मैं बात-बात पर रोने लगता। घर पर बैचेनी होती। न्यूरो फिजिशयन के पास जाता तो उनके पास रोने लगता। वे दवा पर दवा दिए जा रहे थे, लेकिन कोई लाभ नहीं होता, बल्कि उससे नींद ही नींद आती थी।
पूरा परिवार परेशान। ये डिप्रेशन कैसे दूर हो। कई महीने बीत गए। अन्य की डाक्टरों से सलाह ली, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। एक दिन उनका बेटा बोला, पापा, अब अपना सब इलाज बंद करो। आप हमारी कार लो, ड्राइवर है ही। जितने भी आपके दोस्त हैं, उनके पास जाओ। गपशप मारो। उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताओ। भार्गव साहब ने एसा ही किया। वे कार से अपने दोस्तों के यहां जाने लगे और बातचीत, गपशप का सिलसिला देर तक चलता। कार्यक्रमों में भी शरीक होते। कुछ दिन बाद ही उनका वह मानसिक रोग खत्म हो गया। अब कई साल से उन्होंने इस प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है।
मित्रो, मित्रता एक बहुत बड़ा उपहार है। उन्हें मत छोड़ो। मित्र औषधि भी है और रोग भी, अमृत भी हैं और विष भी, इसलिए अच्छे सुविचार वाले दोस्तों को साथ रखो। जो नाकारात्मक विचारधारा वाले हों, हर समय झींकते रहते हैं, एक दूसरे की आलोचना करते रहते हैं, उनसे दूरी बना लो। अच्छे मित्रों की संगत करो। अच्छे मित्र औषधि का काम करते हैं।
बुजुर्गों का मित्र क्लब
एक पुस्तक लिखने के सिलसिले में एक बुजुर्ग व्यवसायी से मिलने गया। उनकी आयु भी 80 वर्ष से अधिक है। उन्होंने बताया कि 80 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग मित्रों का एक क्लब बना रखा है। जिसका वो कोई प्रचार नहीं करते। उसके नियमित एक बैठक होती है, जिसमें गपशप होती है। अपने अनुभव साझा करते हैं। मौज मस्ती होती है। उनका कहना था कि बहुत सी बातें वे अपने परिजनों से शेयर नहीं कर सकते। एट्टी प्लस के साथियों से कह कर मन हल्का कर लेते हैं। मन हल्का होगा तो मानसिक शांति रहेगी। मानसिक शांति रहेगी तो बहुते से रोगों से बचा जा सकेगा
बुरे मित्रों की वंदना…
जीवन में अच्छे मित्रों की जरूरत भी बहुत है, लेकिन वे वास्तव में अच्छे होने चाहिए। लेकिन बुरे दोस्तों से बिगाड़नी भी नहीं चाहिए। क्योंकि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी श्रीराम चरित मानस में खल वंदना की है। क्योंकि वे भी जानते थे कि बुरे लोग हमारे काम में बाधक हो सकते हैं। इसलिए उन्हें मना लो।
मित्रों की संख्या बढ़ाओ
अच्छे मित्रों की संख्या भी आपको बढानी चाहिए। एक विचारक का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन अपने एक पुराने मित्र से जरूर बात करनी चाहिए। इसके साथ प्रति सप्ताह एक मित्र नया बनाना चाहिए, ताकि आपके मित्रों की संख्या बढ़ सके।
बेटे बेटी मित्र
जमाना भी बदल रहा है। अब तो बच्चे भी अपने मम्मी-पापा से मित्रवत व्यवहार करते हैं। करना भी चाहिए, क्योंकि आजकल का जो माहौल चल रहा है, उसमें वे अपनी सभी बातें बेहिचक हो कर बता देते हैं, जिससे बहुत से संकटों से बच जाते हैं।
लेखक – आदर्श नंदन गुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार