आगरा। केरल में गर्भवती हथिनी को विस्फोटक अनन्नास खिलाकर हत्या करने पर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की मांग को लेकर आगरा के सोशल एक्टिविस्ट नरेश पारस ने जीव जन्तु कल्याण बोर्ड, केरला के मुख्यमंत्री और मेनका गांधी को पत्र लिखा था लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस के पत्र के जबाब में मेनका गांधी का जो जवाब आया है उसने हिलाकर रख दिया है।
आगरा के सोशल एक्टिविस्ट नरेश पारस के पत्र पर जीव जन्तु कल्याण बोर्ड और प्यूपिल फाॅर एनीमल की मेनका गांधी ने यह दर्द बयां किया है
मेनका गांधी ने कहा है कि
” केरल में सरकार और वन्यजीव विभाग के साथ कुछ भी नहीं किया जा सकता है। वे कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। लगभग 600 हाथियों को मंदिरों द्वारा उनके पैरों को तोड़कर, उनकी पिटाई और भूख से मरना और अन्यथा निजी मालिकों द्वारा उनका बीमा करके उन्हें मारना और फिर जानबूझकर उन्हें डूबाना या उन पर जंग लगा नाखून देकर गैंगरीन देना है। मैं लगभग हर हफ्ते विभाग से एक हाथी या दूसरे के बारे में बात करती हूं और वे बिल्कुल कुछ नहीं करते हैं। वर्तमान में एक युवा हाथी है जिसे एक मंदिर में पीटा जा रहा है और उसके पैरों को फैलाकर चार दिशाओं में जमीन से बांध दिया गया है। मुझे शिकायत किए हुए एक महीना हो चुका है और कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वह भी जल्द ही मर जाएगा।”
मेनका गांधी
” मैं केवल सुझाव दे सकती हूं। मल्लापुरम अपनी गहन आपराधिक गतिविधि के लिए विशेष रूप से जानवरों के संबंध में जाना जाता है। एक भी शिकारी या वन्यजीव हत्यारे के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए वे ऐसा करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं केवल सुझाव दे सकती हूं। आप भी उनको कॉल अथवा ईमेल के माध्यम से कार्यवाई के लिए कहें।”
पिछले दिनों केरल में गर्भवती हथिनी को विस्फोटक अनन्नास खिलाने के बाद जिस निर्ममता से उसकी जान गयी उससे देश भर के पशु प्रेमियों में आक्रोश है और सोशल मीडिया पर वह लगातार गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। इस संबंध में नरेश पारस ने केरल के मुख्यमंत्री के साथ ही मेनका गांधी को भी पत्र लिखकर घटना की जांच कर कार्यवाही की मांग की। पत्र उन्होंने ईमेल के माध्यम से भेजा है तथा संबंधित विभागों को ट्वीट भी किया है।
सोशल एक्टिविस्ट नरेश पारस ने अपने पत्र में कहा है कि यह पशु क्रूरता की सभी हदों को पार करती हुई घटना है। उस बेजुबान गर्भवती हथिनी के साथ हुए अत्याचार पर अपराधियों के विरूद्ध क्रूरता अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।