देश में किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनकारी किसान संगठन पिछले करीब 50 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। इसके बाद एक के बाद एक सरकार के साथ वार्ता का दौर चला लेकिन किसान संगठनों द्वारा उठाई गई मांगों पर कोई समाधान नहीं मिला है।बता दें शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच नौवें दौर की वार्ता है इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट समिति बनाने की बात कही थी जिसमें 4 लोगों को शामिल किया गया था।लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया जिसके बाद अब सरकार से किसान संगठनों की वार्ता का दौर चलेगा।जानकारी के मुताबिक यह वार्ता का दौर शुक्रवार दोपहर 12:00 बजे से शुरू होगा। जिस तरह पहले यह वार्ता विज्ञान भवन में संपन्न हुई थी वहां पर ही नौवें दौर की वार्ता की जाएगी।किसानों के लंबे समय से चल रहे इस आंदोलन पर लगातार लोगों की पैनी नजर बनी हुई है कि अब क्या फैसला सरकार दे सकती है।
दरअसल इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच 8 जनवरी को वार्ता की गई थी लेकिन उस समय कोई निष्कर्ष नहीं निकला था।केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार खुले मन से इस बैठक में शामिल होगी और किसानों की शंकाओं को दूर करने का प्रयास करेगी।

वहीं 11 जनवरी को जयपुर सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय एक्सपर्ट समिति का गठन किया था लेकिन अगले ही दिन किसान संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध किया था।फिलहाल सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुद्दा ना सुलझाने पर नाराजगी जाहिर की गई है वहीं कमेटी के गठन पर किसानों ने अपना विरोध जाहिर किया जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने कृषि कानूनों पर स्टे लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भूपेंद्र सिंह मान को इस कमेटी में शामिल किया गया था लेकिन किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने अपने आप को इस कमेटी से अलग कर लिया।